अंतर्राष्ट्रीय महिला सप्ताह कार्यक्रम का हुआ शुभारंभ
विश्वविद्यालय में अंतर्राष्ट्रीय महिला सप्ताह कार्यक्रम का हुआ शुभारंभ
महिला प्रकोष्ठ चौधरी रणबीर सिंह विश्वविद्यालय जींद ने अंतर्राष्ट्रीय महिला सप्ताह का शुभारंभ किया, जो अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के उपलक्ष में 4 से 7 मार्च तक मनाया जा रहा है। इसकी थीम है - 'इंस्पायर इन्क्लूजन'। माननीय कुलपति डॉ० रणपाल सिंह ने मुख्य अतिथि और अन्य सभी गणमान्य अतिथियों की उपस्थिति में माँ सरस्वती की प्रतिमा के सम्मुख द्वीप प्रज्वलन कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। इस अवसर पर अतिथियों द्वारा विश्वविद्यालय महिला स्मारिका का विमोचन भी किया गया।
उद्घाटन समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में डॉ० राजश्री सिंह आईजी हरियाणा पुलिस अकादमी, प्रोफेसर लवलीन मोहन, कुलसचिव चौधरी रणबीर सिंह विश्वविद्यालय जींद तथा विशिष्ट अतिथियों के रूप में डॉ० शालिनी जैन नवल, प्रसिद्ध गायकोनोलॉजिस्ट एवं सामाजिक कार्यकर्ता गुरुग्राम, सुश्री कवैईवाणी राजमोहन, प्रसिद्ध कलाकार भरतनाट्यम दिल्ली, डॉ० अनुराधा सैनी, चेयरपर्सन म्युनिसिपल जींद ने शिरकत की।
डॉ० निशा देवपा, अध्यक्ष महिला प्रकोष्ठ ने कार्यक्रम में पधारने पर मुख्य अतिथि व गणमान्य अतिथियों का स्वागत व अभिनंदन किया।
कुलसचिव प्रोफेसर लवलीन मोहन ने अतिथियों को कार्यक्रम की रूपरेखा से अवगत कराया और प्रो० एस० के० सिन्हा, शैक्षणिक अधिष्ठाता ने चौधरी रणबीर सिंह विश्वविद्यालय जींद का प्रगति विवरण प्रस्तुत किया।
इस अवसर पर माननीय कुलपति डॉ० रणपाल सिंह ने अपने उद्बोधन में कहा कि समाज और देश के विकास में जितना योगदान पुरुषों का है, उतना ही महिलाओं का। हालांकि महिलाओं को पुरुषों के समान उतना अधिक सम्मान और अवसर नहीं मिलते। लेकिन वक्त के साथ महिलाएँ घर परिवार की चार दीवारों को पार करके राष्ट्र निर्माण में अभूतपूर्व योगदान दे रही हैं। खेल जगत से लेकर मनोरंजन जगत तक और राजनीति से लेकर सैन्य व रक्षा मंत्रालय तक में महिलाएँ बड़ी भूमिका में हैं। महिलाओं की भागीदारी को हर क्षेत्र में बढ़ावा देने और महिलाओं को उनके अधिकारों के बारे में जागरूक करने के उद्देश्य से प्रतिवर्ष अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है।
मुख्य अतिथि के रूप में डॉ० राजश्री सिंह, आईजी हरियाणा पुलिस अकादमी ने कहा कि इस दिवस का मुख्य उद्देश्य महिलाओं को समाज में समानता और आत्मनिर्भरता का अधिकार प्रदान करना है। आज की महिला निर्भर नहीं हैं, वह हर मामले में आत्मनिर्भर और स्वतंत्र हैं और पुरुषों के बराबर सब कुछ करने में सक्षम भी हैं। हमें महिलाओं का सम्मान जेंडर के कारण नहीं, बल्कि स्वयं की पहचान के लिए करना होगा। हमें यह स्वीकार करना होगा कि घर और समाज की बेहतरी के लिए पुरुष और महिला दोनों समान रूप से योगदान करते हैं।
विशिष्ट अतिथि डॉ० शालिनी जैन नवल ने महिला सशक्तीकरण की बात करते हुए कहा कि महिलाओं को अपने हक के लिए पहले खुद से लड़ना होगा, ताकि वह दुनिया की चुनौतियों से लड़ने में मजबूत हो सके। नारी शक्ति को यह स्वीकार करना चाहिए कि आप आत्मसम्मान बनाए रखने के लिए जीवन में सशक्त हैं। महिलाओं के रूप में लिया जाने वाला पहला महत्वपूर्ण कदम आत्मविश्वास बढ़ाकर आत्मसम्मान हासिल करना, अपना महत्व समझना एवं अपनी देखभाल कर अपना सम्मान करना है और आत्मसम्मान के विकास में अपनी अंदरूनी शक्ति को प्रभावशाली विचारों से सजाना है।
विशिष्ट अतिथि सुश्री कवैईवाणी राजमोहन ने भरतनाट्यम विधा द्वारा मीरा के श्रीकृष्ण के प्रति समर्पित भाव को और गोस्वामी तुलसीदास की रचनाओं पर शानदार प्रदर्शन करते हुए नारी शक्ति को सृजन और स्वावलंबी बनने की प्रेरणा दी।
विशिष्ट अतिथि डॉ० अनुराधा सैनी ने अपने जीवन के व्यक्तिगत अनुभवों से सभी को प्रेरित करते हुए कहा कि समझदारी, ईमानदारी, जिम्मेदारी और बहादुरी के साथ महिलाओं को अपने कर्तव्यों का पालन करना चाहिए। उन्होंने कहा कि शिक्षित और संस्कारवान नारी न केवल अपने परिवार को अपितु समाज को उन्नतिशील बनाती है।
इस अवसर पर विद्यार्थियों द्वारा मनमोहक सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ दी गई और आज आग के बिना खाना पकाना, फोटोग्राफी, रंगोली और मेहंदी प्रतियोगिताओं का आयोजन भी कराया गया।
इस कार्यक्रम में प्रोफेसर मंजू रेढू, डॉ० आनंद मलिक, डॉ० नरेश देशवाल, डॉ० विजय कुमार, डॉ० वीरेंद्र कुमार, डॉ० जयपाल सिंह राजपूत, डॉ० मंजू सुहाग, डॉ० ज्योति मलिक, डॉ० पूनम, डॉ० रितु तथा विश्वविद्यालय के अन्य शैक्षणिक और गैर-शैक्षणिक कर्मचारियों, शोधार्थियों, और विद्यार्थियों की उपस्थिति ने कार्यक्रम को समृद्ध बनाया। मंच संचालन डॉ० कविता सहायक प्राध्यापिका संगीत एवं नृत्य विभाग द्वारा किया गया।