गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, न्यू एजुकेशन पॉलिसी के समक्ष चुनौतियां
कार्यशाला के चोथे दिन डॉ. अशोक कुमार, प्राचार्य, मारकंडा नेशनल कॉलेज, ने गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, न्यू एजुकेशन पॉलिसी के समक्ष चुनौतियों पर बात की। उन्होंने बताया कि बदलाव को जल्दी ग्रहण करना मुश्किल है। उन्होंने डॉ. स्पेंसर जॉनसन की पुस्तक “वू मूव्ड माई चीज एन इमजिंग वे” केमाध्यम से “दा चिज” विषय को उजागर करते हुए बताया कि बदलाव जीवन का एक अहम हिस्सा है। हमें खुद की परीक्षा लेते रहनी चाहिए व कुछ नया करते रहना चाहिए। हमें हमेशा कुछ पाने की कल्पना को करते रहना चाहिए। उन्होंने शिक्षा प्रणाली का जिक्र करते हुए कहा कि अभी तक शिक्षा व्यवस्था अंक व रटंत आधारित रही है। हमें शिक्षा को पैशन के साथ देने की जरूरत है न की इसे प्रोफेशन के तौर पर लें। हमें ग्रेडस की परवाह न कर खुद को राष्ट्रीय निर्माता के रूप में कार्य करने की आवश्यकता है। इस दौरान उन्होंने उच्च शिक्षा प्रणाली में आने वाली समस्याओं का जिक्र किया। जिसमें अनुसंधान पर ध्यान दिया जाना, जी इ आर की बढ़ोत्तरी, गुणवत्ता का मुद्दा, भारतीय ज्ञान परंपरा आदि कुछ प्रमुख विषय रहे। उन्होंने कहा की हमें विद्यार्थी के मानसिक ग्रहण करने शक्ति के आधार पर पढाने की जरूरत है। एन ई पी नीतिकार्कों की एक परिकल्पना है, जिसे अमल में लाना शिक्षण संस्थाओं के हाथ में है। आज हम ऑफलाइन शिक्षा से ऑनलाइन की और बढ़ चुके हैं। हमें नई शिक्षा नीति को सकारात्मक सोच के साथ इसमें प्रतिभागिता करने व अमल में लाने की जरूरत है। हमें सम्मेटिव परीक्षाओं को महत्त्वपूर्णता न देकर इंटर्नशिप, लघु परीक्षाएं, स्किल आधारित शिक्षा को आगे लाने की जरूरत है। इस समय अधिकता में सूचनाओं का अंबार देखने को मिलता है। वस्तु आधारित ज्ञान की बजाय आध्यात्मिक ज्ञान को अग्रसर करने की आवश्यकता है। भारत देश स्वावलंबी तभी हो सकता है जब यहाँ के लोग स्वावलंबी होंगे। नीतिज्ञों ने भी नई शिक्षा नीति में मुख्य तौर पर स्वामी विवेकानंद की पंक्तियों को उद्धृत किया है। हमें निष्पक्षता के साथ समग्रात्मक विकास करने की जरूरत है और एन ई पी के आने से बहुत से बदलाव आने जा रहे हैं। कार्यशाला के दूसरे सत्र मे प्रो. कमलेश गोखर (रिटायर्ड) एम डी यु ने मेसिव ओपन ऑनलाइन कोर्सेज के विषय पर शिक्षको को सम्बोधित किया उन्हें ने कहा की आज के समय मे सरकार डिजिटल शिक्षा की और जोर दे रही है और सरकार ने स्वयं एप्लिकेशन बनाई है आज भारत मे सबसे ज्यादा मात्रा मे युवा वर्ग है जिसके लिये एप्लीकेशन का नाम स्टडी वेबस ऑफ़ एक्टिव लर्निंग फॉर यंग एस्पिर्ट माईड भी युवा के नाम पर रखा गया है स्वयं के जरिए सरकार शिक्षा को बढ़ावा दे रही है स्वयं पर मुफ्त मे कई कोर्सेज उपलब्ध है जिससे युवा अगर कोई नोकरी कर रहे है तो उसके साथ भी जॉब कर सकते है स्वयं का उदेश्य यही है की इसके जरिये जो शिक्षा प्राप्त नही कर सकते उन्हें अच्छी गुणवता मे आसानी से शिक्षा उपलब्ध करवाई जा सके आज के समय मे स्वयं पर दस हजार कोर्सेज उपलब्ध है और ३० मिलियन लोग उसके साथ जुड़े हुए है स्वयं आप को कोर्स पूरा होने के बाद सर्टिफिकेट भी उपलब्ध करवाता है स्वयं के जरिए बच्चों से लेकर किसी भी आयु का इन्सान शिक्षा प्राप्त कर सकता है कोई भी कोर्स कर सकता है जिसके क्रेडिट भी उनके अकाउंट मे आजाते है स्वयं पर शिक्षक से बच्चे डिस्कशन फॉर्म के जरिए सवाल का हल भी पूछ सकते है स्वयं पर शिक्षक कालेज या विश्वविधालय की मदद लेकर खुद का कोर्स भी उपलब्ध करवा सकते है कार्यशाला के तीसरे सत्र मे प्रोफ राजबीर सिंह एस जी टी विश्वविधालय ने इंस्टीटयूशनल डेवलपमेंट प्लान के बारे मे शिक्षकों को बताया की कैसे वो इंस्टीटयूशन का विकास नई राष्ट्र शिक्षा निति के तहत करते है उन्होंने कहा की नई राष्ट्र शिक्षा नीति मे आपको कालेज को सेल्फ गवर्नेंस बनाना है जिसके लिये कालेज मे आपको खुद के बनाए नए कोर्सेज लाने होंगे जिसके जरिए आप समय के साथ आगे बढ़ सके आने वाले समय मे आपके पास बच्चों के लिये हर सुविधा उपलब्ध होनी चाहिए नही तो वो आपका कालेज छोड़ कर किसी और कालेज की और चला जाएगा सरकार का लक्ष्य हमारे विश्विधालय को तक्षिला, नालंदा जैसा बनाना है जहाँ पहले की तरह हजारों की संख्या मे विद्यार्थी पड़ें अगर हम नई शिक्षा निति को अच्छे से प्रयोग करते हैं तो 2040 तक हम विश्व मे शिक्षा के क्षेत्र मे अच्छा स्थान प्राप्त कर लेंगे नेप मे सरकार का उद्देश्य उच्च शिक्षा मे नॉलेज को बढ़ाना है नॉलेज के साथ देश मे विकास होगा और देश विश्व गुरु बनने की तरफ आगे बड़ेगा उन्होंने शिक्षकों को कहा की आप को नेप का ड्राफ्ट पड़ना पड़ेगा ताकि आप इंस्टिट्यूट को नई राष्ट्र शिक्षा निति के तहत आगे बढ सके।