नई शिक्षा निति कार्यशाला का दूसरा और तीसरा दिन हुआ समाप्त विभिन्न विषयों के बारे मे शिक्षकों को किया संबोधित
सी आर एस यु मे चल रही कार्यशाला का दूसरा और तीसरा दिन समाप्त हो गया, दूसरे सत्र में चौधरी रणबीर सिंह विश्वविद्यालय, जींद की कुलसचिव प्रो. लवलीन मोहन ने भारतीय भाषाओं द्वारा सांस्कृतिक अध्ययन को प्रोत्साहन विषय पर अपना व्याख्यान प्रस्तुत किया। वही कार्यशाला के तीसरे दिन प्रो. इपशिता बंसल और प्रो. नरशीमन बी, ने न्यू एजुकेशन पॉलिसी के अंतर्गत आने वाले मल्टीपल एंट्री एग्जिट व राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद पर व्याख्यान प्रस्तुत किया प्रो. लवलीन मोहन ने बताया कि हम विभिन्न पाठ्यक्रमों को अपनी भारतीय भाषाओं को में किस प्रकार लेकर आ सकते हैं। स्कूली स्तर पर भी विद्यार्थियों को भारतीय भाषाओं में पाठ्य पुस्तकों का निर्माण कर शिक्षित किया जा सकता है। हमें अपनी सांस्कृतिक विरासत व लघु उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए विद्यार्थियों को इस ओर अग्रसर करने की जरूरत है। वर्तमान में इस क्षेत्र में बहुत से रोजगार के अवसर भी उपलब्ध हैं कार्यशाला के तीसरे दिन प्रो. इपशिता बंसल ने न्यू एजुकेशन पॉलिसी के अंतर्गत आने वाले मल्टिपल एंट्री व एग्जीट पर व्याख्यान प्रस्तुत किया उन्हों ने कहा की कैसे बच्चे नई शिक्षा निति के जरिए अपना करिअर बना सकते हैं। सरकार संग्रहालयों में भी लोकल कलाकारों को बढ़ावा देने के लिए बहुत से रास्ते खोलने जा रही है व कुछ विशिष्ट क्षेत्रीय भाषाओं में कार्यक्रमों की शुरुआत करने जा रही है। जिससे भारतीय संस्कृति व परंपराओं को महत्ता मिल सके। उन्होंने अपने वक्तव्य में संस्कृत भाषा को प्रोत्साहित करने की बात भी कही। उन्होंने कहा की संस्कृत भाषा सभी भाषाओं की जननी है इसलिए सभी महाविद्यालयों व विश्वविद्यालयों को इस भाषा को आगे बढ़ाने की ओर कदम उठाने चाहिए। लिव-इन आर्टिस्ट को भी सभी शिक्षण सस्थाओं में प्रमुखता मिलनी चाहिए और अपने कौशल को निखारने के लिए सभी को आगे आना चाहिए और रोजगार के अवसरों को सामने लाना चाहिए । इस अवसर पर उन्होंने सी बी सी एस व इलेक्टिव विषयों को पाठ्यक्रम में लाने की बात भी कही। उन्होंने एजुकेशन नीतियों के इतिहास जिसमें प्रथम शिक्षा निति से लेकर पांचवी शिक्षा निति पर बात की । इसके बाद उन्होंने मूक पाठ्यक्रम व स्वयं के बारे में समझाया की ये सभी न्यू एजुकेशन पॉलिसी में किस प्रकार अपनी भूमिका निभा रहे हैं। इसी तरह उन्होंने उच्च शिक्षा में आ रही समस्याओं के बारे में आए हुए श्रोताओं को अवगत करवाया। जिसमें उन्होंने बताया की इस पॉलिसी में विद्यार्थी अपनी कुशलता के आधार पर आगे बढ़ सकता है। जोकि पिछली पॉलिसी में नहीं था। यह देखा गया है की इस समय सरकारी कार्य प्रणाली ठीक रूप से कार्य नहीं कर पा रही है। हमें प्रभावशाली व्यवस्था पर कार्य करने की आवश्यकता है। इस समय एक बिखरा हुआ सिस्टम देखने को मिलता है जो की न्यू एजुकेशन पॉलिसी से दूर हो जाएगा। इसके अलावा उन्होंने मल्टिपल एंट्री व एग्जीट के उद्येश्य की चर्चा की। जिसमें लाइफ लॉंग लर्निंग को बढ़ावा देने व स्नातकोत्तर पाठयक्रम को नया स्वरूप देने की बात की गई। इसके अलावा उन्होंने विभिन्न पठ्यक्रमों के क्रेडिट सिस्टम पर भी बात की तीसरे दिन के दुसरे सत्र मे प्रोफ. नरशीमन बी. ने राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद के बारे मे बताया की कैसे कॉलेज और विश्वविद्यालय को नेक मे एक अच्छी ग्रेड दिलवाई जा सकती है| उन्होंने शिक्षकों को बताया की हर कॉलेज और विश्वविद्यालय मे आई.क्यू.ए.सी सेल का होना जरूरी है और उसके जरिये आप समय समय पर बच्चों से फीडबैक लेकर शिक्षा की गुणवता को बड़ा सकते हैं| उसमे उन्होंने डॉक्यूमेंट के बारे मे बताया की कैसे डॉक्यूमेंट टेम्पलेट बनाकर अपने पिछले पांच साल के डाटा को नेक की विजिट के लिये संरक्षित कर सकते है| उन्होंने कहा की आप को अपने विभाग मे हो रहे काम के बारे मे विसतरित जानकारी रखनी चाहिए ताकि आप नेक मे खुद के कार्यों का अच्छे से वर्णन कर पाए| आपको नेक मे अच्छी ग्रेडिंग के लिये सरकारी व गैर सरकारी संस्थान से ग्रांट लेकर रिसर्च मेथड पर कार्यशाला करवानी चाहिए और अच्छे रिसर्च पेपर पब्लिश करवाने चाहिए आपके कालेज या विश्वविधालय मे पुरे समय के लिये अध्यापक उपलब्ध होने चाहिए और टीचिंग लर्निंग और इवैल्यूएशन जो 350 नम्बर का नेक मे होता है उसपर विशेष तोर पर ध्यान देना चाहिए उन्होंने नेक मे अच्छी ग्रेडिंग के लिये एसेसमेंट के चरण, क्वालिटी इंडिकेटर फ्रेम्वर्क , वेल्यु एडेड कोर्स, करिकुलम एन्रिच्मेंट, स्टूडेंट सपोर्ट एंड प्रोग्रेशन व दूसरी यूनिवर्सिटी के साथ एम् ओ यु से नेक के समय मे होने वाले फायदे के बारे मे विस्तृत रूप से जानकारी दी|