प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के स्किल इंडिया के सपने को साकार करने हेतु उठाया एक बड़ा कदम
चौधरी रणबीर सिंह विश्वविद्यालय, जींद ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के स्किल इंडिया के सपने को साकार करने हेतु एक बड़ा कदम उठाया है। कुलपति डॉ० रणपाल सिंह के मार्गदर्शन में निदेशक, ट्रेनिंग एंड प्लेस्मेंट, डॉ० अनुपम भाटिया ने इस ओर कदम बढ़ाते हुए भारत की सबसे बड़ी एवं विश्व में 10 शीर्ष कम्पनियों में शुमार टाटा कंसल्टेन्सी सर्विसेज़ (टी०सी०एस०) से कुमारी शिल्पी गौतम से बातचीत की एवं उन्हें विश्वविद्यालय में वार्तालाप के लिए आमंत्रित किया।
कुलपति महोदय की अध्यक्षता में शैक्षणिक संकायाध्यक्ष प्रो० एस के सिन्हा, अधिष्ठाता विज्ञान संकाय डॉ० विशाल वर्मा, अधिष्ठाता सामाजिक विज्ञान डॉ० सुनील फोगाट, निदेशक, ट्रेनिंग एंड प्लेस्मेंट द्वारा टी०सी०एस० से आए हुए अधिकारियों द्वारा बातचीत की गई। टी०सी०एस० से डॉ० हिमद्वीप वालिया ने बताया कि देश-विदेश में इंडस्ट्री की जरूरतों को पूरा करने के लिए टी० सी० एस० विश्वविद्यालयों के साथ मिलकर ऐसे मानव संसाधन तैयार करना चाहता है, जिससे स्किल्ड विद्यार्थी देश-विदेश में नौकरी पाने के लिए प्राथमिकता पाते है। उन्होंने बताया कि टी०सी०एस० विभिन्न विषयों के साथ आर्टीफिशियल इंटेलिजेन्स, मशीन लर्निंग, डाटा एनेलेटिक्स, कम्युनिकेशन्स स्किल्स, एकोनोमीट्रिक्स, डाटा साइंस आदि विषयों को जोड़ती है इससे विद्यार्थियों को सर्वांगीण ज्ञान प्राप्त होता है। जिससे उन्हे शिक्षा के उपरांत रोजगार की चिंता नहीं करनी पड़ती। इन विषयों का ज्ञान होने से विद्यार्थी न केवल देश-विदेश में नौकरी कर सकते है, अपितु स्वरोजगार भी उत्पन्न कर सकते है।
टी०सी०एस० से श्री सिद्धार्थ तिवारी ने इसके लिए विद्यार्थियों द्वारा दिए जाने वाले अतिरिक्त शुल्क की चर्चा की। टी० सी० एस० से श्री लव चोपड़ा ने बताया कि टी० सी० एस० द्वारा विभिन्न प्रकार की राष्ट्रीय परीक्षाओं का आयोजन भी किया जाता है, जिसमें यू०जी०सी० नेट, जे०ई०ई०, नीट आदि प्रमुख है। उन्होंने विश्वविद्यालय के साथ परीक्षाओं के आयोजन एवं परीक्षा परिणामों को जारी करने का प्रस्ताव पेश भी किया।
कुलपति डॉ० रणपाल सिंह ने कहा कि विद्यार्थियों के विकास एवं रोजगार के लिए यह एक क्रांतिकारी कदम है। शैक्षणिक संकायाध्यक्ष प्रो० एस के सिन्हा ने कहा कि विश्वविद्यालय की उन्नति के लिए यह एक महत्वपूर्ण कदम है। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति भी विश्वविद्यालयों को इसी राह पर चलने के लिए प्रेरित करती है। विश्वविद्यालय इस तरह के कार्यक्रमों का स्वागत करता है एवं इसके संचालन के लिए मंथन करने के लिए तत्पर है। विश्वविद्यालय शीघ्र ही इस पर अंतिम निर्णय लेगा और यदि संभव हुआ तो अगले शैक्षणिक स्तर में इसे क्रियान्वित किया जाएगा।