भूगोल विभाग की दो छात्राओं के शोध को भारतीय भूवैज्ञानिक संस्था द्वारा प्रकाशन हेतु स्वीकृत (अंतररास्ट्रीय शोध प्रकाशन)
चौधरी रणबीर सिंह विश्वविद्यालय के भूगोल विभाग की ऍम एससी द्वितिय वर्ष की दो छात्राओं सलिता व् हिमानी द्वारा डॉ सितेंदर मलिक के निर्देशन में किये गये शोध को भारतीय भूवैज्ञानिक संस्था द्वारा प्रकाशित शोध पत्रिका में प्रकाशन हेतु स्वीकृत किया गया है l यह शोध पत्रिका प्रख्यात अंतररास्ट्रीय शोध प्रकाशन स्प्रिन्जर/स्कोप्स का एक अंग है जिसका इम्पैक्ट फैक्टर 1.6 है l इस अवसर पर यूनिवर्सिटी के कुलपति डॉ रणपाल सिंह ने विद्यार्थियों व् उनके पर्यवेक्षक को बधाई दी l उन्होंने बताया की भूगोल विभाग के विद्यार्थियों और शिक्षको द्वारा किया गया यह कार्य अत्यंत सराहनीय है और इसके लिए भूगोल विभाग प्रसंशा का पात्र है l और यूनिवर्सिटी के लिए यह गर्व का विषय है l यूनिवर्सिटी की कुलसचिव प्रोफेसर लवलीन मोहन ने बताया की यूनिवर्सिटी प्रशासन शोध कार्यों को बढ़ावा देने के लिए निरंतर प्रयत्नशील है और यह उसी का परिणाम है l उन्होंने विभाग को शोध कार्यों को जरी रखने ने के लिए प्रोत्साहित भी किया l इस शोध कार्य के निर्देशक और भूगोल विभाग के सहायक प्राध्यापक डॉ सितेंदर मलिक ने बताया की हरियाणा की किसी भी यूनिवर्सिटी में भूगोल विषय में मास्टर डिग्री करने वाले विद्यार्थियों द्वारा प्रकाशित शोध पत्रों में इसका इम्पैक्ट फैक्टर सबसे ज्यादा है l यह शोध जींद जिले में गिरते भू जल स्तर और उसको प्रभावित करने वाले कारको पर था l इस अध्यन में 1987 से 2017 तक के आकंड़ो का प्रयोग किया गया l शोध में पाया गया की पिछले 30 साल में धान की फसल के अंतर्गत आने वाले क्षेत्र में बेतहाशा वृद्धि, निरंतर नलकूपों की संख्या में वृद्धि, अधिक पानी ली आवश्यकता वाली फसलो की बुवाई, वर्षा की कमी व् भूमिगत जल का गैर जरुरी कार्यों में प्रयोग गिरते भू जल स्तर के प्रमुख कारण है l इसके परिणामस्वरूप जींद जिले का भूजल स्तर हर साल 22 सेंटीमीटर की दर से निचे गिर रहा है l यह समस्या जींद जिले केन्द्रीय भाग में सबसे अधिक है l