योग विज्ञान विभाग के द्वारा ट्रांसफॉर्मेशन थ्रू ट्रांसमिशन (मैडिटेशन एंड मोटिवेशन) विषय पर कार्यक्रम का आयोजन
चौधरी रणबीर सिंह विश्वविद्यालय, जींद में योग विज्ञान विभाग के द्वारा ट्रांसफॉर्मेशन थ्रू ट्रांसमिशन (मैडिटेशन एंड मोटिवेशन) विषय पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम का शुभारम्भ माँ सरस्वती के सामने दीप प्रज्वलित कर किया गया।
इस अवसर पर बड़ौत बागपत उत्तर प्रदेश से मोटिवेशनल स्पीकर, लाइफ कोच और आध्यात्मिक गुरु के रूप में महामंडलेश्वर आचार्य कृष्णपाल विश्रुतपाणि ने मुख्य अतिथि एवं वक्ता के रूप में शिरकत की और अन्य विशिष्ट अतिथियों के रूप में श्री देवालय संघ के संस्थापक और अध्यक्ष डॉ० वेद प्रकाश गुप्ता, प्रमुख समाज सुधारक डॉ० सोहनवीर सिंह, प्रधानाचार्य (डिवाइन ग्लोबल एकेडमी बड़ौत) ओशो संन्यासी डॉ० के.के. त्यागी, डॉ० रजनीकांत तिवारी और डॉ० धर्मेंद्र मिश्रा रहे। योग विज्ञान विभाग सदस्यों द्वारा सभी गणमान्य अतिथियों को पुष्पगुच्छ और माल्यार्पण करके स्वागत सत्कार किया गया।
सहायक प्राध्यापक योग विज्ञान विभाग डॉ० वीरेंद्र कुमार ने सभी गणमान्य अतिथियों को विश्वविद्यालय की प्रगति और योग विज्ञान विभाग की विभिन्न गतिविधियों से अवगत कराया।
इस अवसर पर विश्वविद्यालय कुलपति डॉ० रणपाल सिंह ने विद्यार्थियों को अपना आशीर्वाद संदेश भिजवाया और कहा कि ध्यान के माध्यम से हम स्वयं को जान सकते है और ध्यान एक ऐसी क्रिया है जिसके माध्यम से विद्यार्थी में एकाग्रता बढ़ती है, इसलिए विद्यार्थी जीवन में ध्यान बहुत ही महत्वपूर्ण है।
इस अवसर पर विश्वविद्यालय कुलसचिव प्रो० लवलीन मोहन ने कार्यक्रम के मुख्य अतिथि और वक्ता महामंडलेश्वर आचार्य कृष्ण पाल विश्रुतपाणि जी व अन्य सभी विशिष्ठ अतिथियों का स्वागत और अभिनन्दन किया। अपने आशीर्वचन में उन्होंने कहा कि विद्यार्थियों को शिक्षा प्राप्त करने के लिए एकाग्रता की आवश्यकता होती है और एकाग्रता ध्यान से बढ़ती है। अतः इसके लिए ध्यान योग करना सबसे जरूरी है।
मुख्य वक्ता के तौर पर पहुँचे महामंडलेश्वर आचार्य कृष्ण जी ने विभिन्न प्रेरक प्रसंगों और कहानियों के माध्यम से वर्तमान जीवन की चुनौतियों से उबरने के लिए ध्यान की उपयोगिता के बारे में बताया। उन्होंने ट्रांसफॉर्मेशन थ्रू ट्रांसमिशन (मैडिटेशन एंड मोटिवेशन) के बारे में भगवान बुद्ध, महावीर स्वामी, भगत सिंह व अन्य महापुरुषों के उदाहरण देते हुए बताया कि अगर स्वयं भगवान ने भी धरती पर जन्म लिया है तो उनको भी ध्यान की प्रक्रिया से होकर गुजरना पड़ा है तभी उनको ज्ञान की प्राप्ति हुई थी। उन्होंने ध्यान के बारे में बताते हुए कहा कि ध्यान विचार और मानसिक स्थिति को नियंत्रित करने का एक महत्वपूर्ण तरीका है। यह एक अभ्यास है जिसमें आप अपने मन की प्रवृत्तियों और ध्यान केंद्रित करने की क्षमता को विकसित करते हैं। यह मन को शांत और स्थिर बनाने में मदद करता है, जिससे आप स्पष्टता, सकारात्मकता और स्थिरता को अनुभव कर सकते हैं। ध्यान करने से शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होता है। यह तनाव को कम करने, मन को शांति प्रदान करने और संभावना को बढ़ाने में मदद करता है। ध्यान करने से मनुष्य की क्षमता बढ़ती है, जो कि ध्यान में ज्यादा ध्यान और एकाग्रता को संभालने में मदद करता है। ध्यान का अभ्यास भी स्वयं को और अपने आस-पास को बेहतर ढंग से समझने में मदद करता है, जिससे संबंध, कार्य, और जीवन को अधिक उत्तम ढंग से प्रबंधित किया जा सकता है। यह मनुष्य को वास्तविक जीवन में ध्यान-केंद्रित और संवेदनशील बनाता है, जिससे आप स्वयं को और अपने चरम उद्देश्यों को प्राप्त कर सकते हैं।
इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि डॉ० वेद प्रकाश गुप्ता ने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति के जीवन के अन्दर उसका एक लक्ष्य निर्धारित होना चाहिए और उन्होंने विद्यार्थियों को धन को बचाने और धन कमाने के तरीके को बताते हुए कहा कि 'सेव मनी एंड इन्वेस्ट मनी' जिस प्रकार एक बीज से पेड़ बन जाता है और वही पेड़ जब बड़ा होकर और भी बीज बनाता है जिससे हम अलग-अलग जगह पर अन्य पेड़ उगा सकते है, उसी प्रकार धन को भी बढ़ाया जा सकता है।
कार्यक्रम सचिव डॉ० जयपाल सिंह राजपूत सहायक प्राध्यापक, योग विज्ञान विभाग द्वारा सभी गणमान्य अतिथियों के प्रति धन्यवाद ज्ञापित किया गया। उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय के माननीय कुलपति के कुशल नेतृत्व और विशेष संरक्षण में विभाग की प्रगति के लिए समय-समय पर इस तरह के कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
विद्यार्थियों के शारीरिक, मानसिक, बौद्धिक, नैतिक और चारित्रिक उत्थान के लिए योग विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ० कुलदीप नारा के विशेष मार्गदर्शन और सहयोग के लिए आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि समाज में तनाव, चिंता, और दबाव के कारण हमारे मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर अनेक प्रकार के प्रभाव पड़ते हैं। ध्यान करने से हम इन समस्याओं का समाधान कर सकते हैं और अपने जीवन को संतुलित बनाए रख सकते हैं। इसके अलावा, ध्यान करने से हमारी धारणा शक्ति भी बढ़ती है, जो हमें अपने लक्ष्यों की प्राप्ति कराने में सहायक है।
इस अवसर पर डॉ० मंजूलता रेढू, डॉ० अजमेर मलिक, डॉ० विजय सिंह, डॉ० कविता, डॉ० भावना, डॉ० बृजपाल, डॉ० प्रवीण, डॉ० वीरेंद्र कुमार, डॉ० मंजू सुहाग, डॉ० ज्योति मलिक, डॉ० सुमन पूनिया सभी विद्यार्थियों, शोधार्थियों और पत्रकारों आदि की गरिमामय उपस्थिति ने कार्यक्रम को जीवंत बना दिया। सभी गणमान्य अतिथियों को स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया गया और विशिष्ट अतिथि डॉ० वेद प्रकाश गुप्ता द्वारा लिखित 'गागर में सागर' पुस्तक और स्मृति चिन्ह भेंट कर योग विज्ञान विभाग के सभी प्राध्यापकों को सम्मानित किया गया।
इस अवसर पर मंच संचालन का कार्य डॉ० सुमन पुनिया, सहायक प्राध्यापिका योग विज्ञान विभाग द्वारा किया गया।