साहिबजादों का बलिदान हमें सिखाता है कि धर्म और सत्य के मार्ग पर चलना ही सबसे बड़ा साहस है : प्रो मार्कंडेय आहूजा

December 27, 2024

साहिबजादों का बलिदान हमें सिखाता है कि धर्म और सत्य के मार्ग पर चलना ही सबसे बड़ा साहस है : प्रो मार्कंडेय आहूजा

परिस्थितियाँ कितनी भी कठिन हो, हमें अपनी आस्थाओं और सिद्धांतों से समझौता नहीं करना चाहिए: प्रो. लवलीन मोहन

चौधरी रणबीर सिंह विश्वविद्यालय, जींद द्वारा श्री गुरु गोबिंद सिंह जी के साहिबजादों की शहादत की याद में बाल वीर दिवस के अवसर पर एक दिवसीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया|

कार्यक्रम के मुख्य वक्ता प्रोफेसर मार्कण्डेय आहूजा पूर्व कुलपति गुरुग्राम विश्वविद्यालय एवं अध्यक्ष विश्व संवाद केंद्र, हरियाणा ने संबोधित करते हुए कहा कि आज हम यहां बाल वीर दिवस के पावन अवसर पर एकत्रित हुए हैं, जो हमें साहस, त्याग और निडरता की अद्वितीय मिसाल की याद दिलाता है। यह दिन साहिबजादा जोरावर सिंह और साहिबजादा फतेह सिंह की शहादत को श्रद्धांजलि देने के लिए मनाया जाता है।

उन्होंने कहा जैसा कि हम जानते हैं, गुरु गोबिंद सिंह जी के छोटे साहिबजादों ने मात्र 9 वर्ष और 6 वर्ष की छोटी आयु में अपने धर्म, सच्चाई और न्याय की रक्षा के लिए अपना बलिदान दिया। मुगल शासक वजीर खान ने उनसे इस्लाम धर्म कबूल करने को कहा, लेकिन इन नन्हें शेरों ने बहादुरी से इस्लाम कबूल करने इनकार कर दिया और वह मुगल शासकों के आगे झुके नहीं और उन्होंने कहा कि साहिबजादों के पिता श्री गुरु गोबिंद सिंह जी पूरी दुनिया को ज्ञान दे रहे थे और उनके कारण उनके पुत्र में आत्मबल इतना ज्यादा था कि मुगल सम्राट के लाख कोशिश करने के बाद भी उनको झुका नहीं पाया और अंत में उन्हें जिंदा दीवार में चुनवा दिया गया । हमारी आज की पीढ़ी को भी आत्मबल और मानसिक बल के लिए नन्हे साहिबजादों के जीवन से शिक्षा लेनी चाहिए क्योंकि आत्मबल और मानसिक बल के साथ शारीरिक बल अपने आप बढ़ जाता है और आज के युवाओं को इसकी जरूरत भी है। उन्होंने शिक्षकों से भी अनुरोध करते हुए कहा कि बच्चों को कौशल ज्ञान के साथ साथ संकल्प शक्ति पर ध्यान केंद्रित करें ।

 विशिष्ट अतिथि जत्थेदार गुरजिंद्र सिंह प्रधान सुखमनी साहिब सेवा सोसायटी व बीबी परमिंदर कौर कार्यकारी सदस्य, हरियाणा सिख गुरुद्वारा प्रबंधन कमेटी एवं अध्यक्षा आई टी विभाग ने बताया कि उन्होंने जींद की सभी संस्थाओं से बात कर माननीय प्रधानमंत्री एवं मुख्यमंत्री हरियाणा सरकार को लगभग 2 लाख पत्र इस दिन को पुरे देश में आयोजित करने के लिए अपील की थी और और प्रधानमंत्री जी ने हमारी इस अनुरोध को स्वीकार किया और आज 26 दिसंबर को हम वीर बाल दिवस के रूप में मना रहे है उन्होंने अपने संबोधन में गुरु गोबिंद सिंह जी और साहिबजादों के जीवन से जुड़े किस्सों से अवगत करवाते हुए कहा कि जब गुरु गोबिंद सिंह जी युद्ध में जब तीर जलाते थे तो उनकी तीर के आगे सोना लगा होता था ताकि अगर कोई व्यक्ति उनके तीर से घायल हो जाए तब वह उस सोने को बेचकर अपना इलाज करवा सके ।

विशिष्ट अतिथि बाबा जगतार सिंह जी,  गुरुद्वारा श्री मंजी साहिब,  पातशाही नौंवी जींद  ने कहा कि इस दिवस के माध्यम से बच्चों को साहिबजादों के साहस, बलिदान और निडरता की प्रेरणा दी जाती है जिससे हमारी पीढ़ी अपने धर्म के लिए अडिग रहे ।

विश्वविद्यालय कुलसचिव प्रो. लवलीन मोहन ने कहा कि कुलपति प्रो. सोमनाथ सचदेवा ने संदेश दिया है कि हमें सिखाया जाता है कि चाहे परिस्थितियाँ कितनी भी कठिन क्यों न हों, हमें अपनी आस्थाओं और सिद्धांतों से समझौता नहीं करना चाहिए।

और उन्होंने कहा कि यह कार्यक्रम विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सोमनाथ सचदेवा जी के मार्गदर्शन के कारण ही हुआ है उन्होंने कहा कि  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने 2022 में यह घोषणा की कि हर साल 26 दिसंबर को 'बाल वीर दिवस' के रूप में मनाया जाएगा। इस दिन का उद्देश्य बच्चों को न केवल साहिबजादों के बलिदान की गाथा सुनाना है, बल्कि उनमें सत्य, न्याय और धर्म के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देना भी है। हमें चाहिए कि हम साहिबजादों के बलिदान से सीख लें और जीवन में आने वाली हर कठिनाई का डटकर सामना करें । इस अवसर  पर विश्वविद्यालय के शैक्षणिक और गैर शैक्षणिक कर्मचारी उपस्थित रहे