स्वावलंबी भारत के निर्माण में युवाओं की भूमिका
स्वावलंबी भारत के निर्माण में युवाओं की भूमिका, चौधरी रणबीर सिंह विश्वविद्यालय, जींद द्वारा किया गया कार्यशाला का आयोजन|
चौधरी रणबीर सिंह विश्वविद्यालय के छात्र कल्याण अधिष्ठाता द्वारा विश्वविद्यालय सभागार में स्वावलंबी भारत के निर्माण में युवाओं की भूमिका विषय पर आज एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। जिसमें प्रो. देव प्रसाद भारद्वाज, अध्यक्ष, विद्या भारती, हरियाणा मुख्य अतिथि रहे व प्रो. एच. सी. पुरोहित विभागाध्यक्ष, स्कूल ऑफ मैनेजमेंट, दून विश्वविद्यालय, उत्तराखंड ने विशिष्ट अतिथि के रूप में शिरकत की। इस कार्यशाला में विश्वविद्यालय, कुलपति डॉ रणपाल सिंह, चीफ पैटर्न, कुलसचिव प्रो. लवलीन मोहन पैटर्न व प्रो. एस. के. सिन्हा कार्यक्रम के संयोजक रहे। मंच का संचालन कुमारी सुमन पुनिया द्वारा किया गया|
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रो. देव प्रसाद भारद्वाज जी ने सभी मंचासीन लोगों का स्वागत किया व सभागार में उपस्थित सभी विद्यार्थी व प्राध्यापकों को संबोधित करते हुए अपने अभिभाषण में कहा कि सबसे पहले हमें यह जानने की जरूरत है की स्वावलंबन क्या है? स्वावलंबन का अर्थ है खुद को जानना, मैं कौन हूँ, मेरा इतिहास जानना , अगर हमने यह जान लिया तो हमें आगे बढ़ने में कोई दिक्कत आएगी ही नहीं। इस मौके पर उन्होंने प्रसिद्ध कवि मैथिलीशरण गुप्त की पंक्तियां - हम कौन थे ... को दोहराते हुए कहा कि इस देश में किसी भी क्षेत्र की ओर दृष्टि करेंगे तो पाएंगे हमारे पास क्या कुछ नहीं था। हमारे देश ने तो विश्व का मार्गदर्शन किया है। मनुष्य विकास के सिद्धांत को पढ़ते हुए सामने डार्विन की थ्योरी आती है जबकि उससे भी पहले हमारे यहाँ दशावतर का सिद्धांत विद्यमान था। इस सिद्धांत के अलावा कोई भी सिद्धांत पूर्णतया क्रमिक, प्रामाणिक व सटीक नहीं था। उन्होंने कहा की भारत देश को सशक्त व स्वावलंबी बनाने के लिए हमें स्व यानि खुद को जानना होगा। आज विदेशों में डॉक्टर, रिसर्चर्स, शिक्षा आदि हर क्षेत्र भारतीयों के बलबूते पर ही टिका हुआ है, सिलिकॉन वैली में हमारे ही अधिकतर वैज्ञानिक कार्य कर रहे हैं। हमें परावलंबन की स्थिति से निकलने की जरूरत है। विश्व व्यापार में सबसे अधिक भागीदारी भारत की ही रही है। न्यू एजुकेशन पॉलिसी का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा की यह एक इंडो सेंटरिक पॉलिसी है। हम अपनी प्राचीन ज्ञान परंपरा के आधार पर पर देश का निर्माण कर सकते हैं। आज हाथ से कम करने वाला व्यक्ति पूजनीय नहीं हैं, हम व्हाइट कॉलर जॉब को प्राथमिकता देते हैं। नौकरी हमारा अंतिम उद्देश्य नहीं होना चाहिए। हमें इस मानसिकता को बदलने की जरूरत है। भारत देश विश्व का पहला युवा देश है जिसकी कोई जन्म तिथि ही नहीं है। यह मानव सभ्यता के साथ जन्मा है। उन्होंने कहा की मेक इन इंडिया से कौशल रोजगार की अग्रसर हुआ जा सकता है। हमारे युवाओं में किसी भी चुनौती से लड़ने की भरपूर शक्ति है। युवा वर्ग को चाहिए की वे अपनी प्रतिभा को दिखाएं व स्वयं को पहचानें। फिर इस देश को विश्व गुरु बनने से कोई नहीं रोक सकता।
इस अवसर पर कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि प्रो. एच. सी. पुरोहित जी ने अपने वक्तव्य में कहा की यह उनका सौभाग्य है की उनके यहां आने का शुभ अवसर मिला व विश्वविद्यालय के सभी लोग इसके विकास में अपने पूर्ण समर्पण दे रहे हैं। इस अवसर पर उन्होंने भारत में हुए विकास को 3 चरणों बांटते हुए बताया की कैसे हमारा भारत देश प्रगति की ओर बढ़ रहा है। कैसे भारत देश में हारीत व श्वेत क्रांति नई विकास को आगे बढ़ाया व आजादी के 75 वर्ष बाद हम लोग विश्व स्तरीय टेकनोकरेट्स पोरी दुनिया को दे पाए। आज हमारे भारत देश के संस्थानों से पढे हुए विद्यार्थी बाहर विदेशों में कार्यरत हैं। वर्तमान में हमारी जीडीपी दर 6 वें नं. पर अ गई है। उन्होंने कहा कि हमने परफॉर्म, ट्रांसफॉर्म व रिफॉर्म की नीति को को अलग तरह से देखा है जिसमें हमारे युवाओं की अहम भूमिका रही है। हम लोग आज फाइनैन्शल टेक्नोलॉजी में चीन से आगे हैं। लॉकडाउन के दौरान कृषि क्षेत्र में विकास देखने को मिला। इस समय भारत में 1 लाख से अधिक स्टार्टअप रजिस्टर्ड हैं। कोविड के समय हमारे युवाओं ने अत्यधिक मात्र में तरक्की हासिल की व सफिशयंशी से इफिशन्सी की ओर बढ़ गए। उन्होंने कहा की हमें एक्विटेबल व सस्टैनेबल विकास की राह पर चलने की जरूरत है।
इस अवसर पर विश्वविद्यालय कुलपति डॉ. रणपाल सिंह जी ने कहा कि एन. ई. पी. में सार्वभौमिक निर्माण का पैटर्न दिया गया है। हमें ऐसा बनने की जरूरत है की हमें रोजगार मांगना न पड़े बल्कि हम रोजगार देने वाले बनें। हमारे देश में लोकल, वोकल, सकिल इंडिया जैसे कार्यक्रम चल रहे हैं। इसी तरह हम स्वावलंबी भारत बना सकते हैं। कार्यक्रम के संयोजक व छात्र कल्याण अधिष्ठाता प्रो. एस. के. सिन्हा ने सभी को संबोधित करते हुए कहा कि युवा देश की शक्ति हैं। उन्होंने युवाओं को श्रम, साधन, व शक्ति के द्वारा स्वावलंबी बनने की ओर प्रेरित किया। इस अवसर पर कुलपति व कुलसचिव द्वारा आए हुए मेहमानों को शॉल भेंट की गई। विश्वविद्यालय कुलसचिव डॉ लवलीन मोहन ने सभी ये हुए अतिथियों का धन्यवाद करते हुए विश्वविद्यालय में चल रहे स्किल ओरिएंटेड कोर्स के बारे में अवगत करवाया। उन्होंने कहा की आज का कार्यक्रम सामयिक व प्रासंगिक है। हमें आवश्यकता है हम स्वावलंबी बनें।इस अवसर पर कार्यक्रम के संयोजक प्रो. एस. के. सिन्हा ने कहा कि युवा देश की शक्ति होते हैं। इस अवसर पर अर्थशास्त्र विभाग द्वारा पेंटिंग प्रतियोगिता का आयोजन भी किया गया। इस मौके पर विश्वविद्यालय के सभी प्राध्यापक व छात्र- छात्राएं मौजूद रहे।