हरियाणवी लोक साहित्य,लोक संस्कृति और जीवन मूल्यों के अथक साधक थे डॉ. भीम सिंह मलिक:कुलपति डॉ. रणपाल सिंह
हरियाणवी लोक साहित्य,लोक संस्कृति और जीवन मूल्यों के अथक साधक थे डॉ. भीम सिंह मलिक:कुलपति डॉ. रणपाल सिंह
हिंदी-विभाग,चौधरी रणबीर सिंह विश्वविद्यालय जींद एवं लोकरंग धारा न्यास के संयुक्त तत्वावधान में जयघोष संगोष्ठी एवं सम्मान समारोह का आयोजन किया गया। इस सम्मान समारोह का आयोजन चौधरी रणबीर सिंह विश्वविद्यालय के माननीय कुलपति डॉ. रणपाल सिंह जी की अध्यक्षता में किया गया। संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए माननीय कुलपति डॉ. रणपाल सिंह जी ने कहा कि हिंदी भाषा एवं साहित्य के विकास में डॉ भीम सिंह मलिक का योगदान अविस्मरणीय रहा है उन्होंने न केवल हिंदी भाषा एवं साहित्य अपितु हरियाणवी भाषा एवं हरियाणवी संस्कृति के प्रचार-प्रसार में भी अतुलनीय योगदान दिया है।वे हरियाणवी लोक साहित्य,लोक संस्कृति और जीवन मूल्यों के अथक साधक थे।डॉ. भीम सिंह मलिक ने न केवल भारत अपितु इंग्लैंड और अमेरिका सहित लगभग 33 देशों की यात्राएं कर हिंदी भाषा एवं साहित्य के विकास में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है उन्होंने बीबीसी लंदन से मानव शास्त्र विषय पर व्याख्यान भी प्रसारित किया जो अत्यंत प्रशंसनीय रहा था उन्होंने विदेशी भूमि पर विभिन्न विश्वविद्यालयों,साहित्यिक संस्थानों, उच्च शिक्षण संस्थानों में अनेक व्याख्यान दिए तथा उनके दिए व्याख्यान विदेशों में बहुत प्रशंसनीय रहे,निश्चित तौर पर डॉ. भीम सिंह मलिक हरियाणवी लोक साहित्य एवं संस्कृति के सच्चे साधक रहे हैं।
कार्यक्रम में गरिमापूर्ण सानिध्य के रूप में प्रोफेसर सरला जी ने अपनी भूमिका निभाई। प्रोफेसर सरला मलिक महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय रोहतक में राजनीति शास्त्र विभाग की पूर्व विभागाध्यक्ष रही हैं उन्होंने डॉ. भीम सिंह मलिक जी के व्यक्तित्व उनके साहित्य लेखन और हरियाणवी संस्कृति के विकास एवं समर्थन के बारे में डॉ. भीम सिंह मलिक जी की तत्परता और निरंतर हरियाणवी संस्कृति के संरक्षण हेतु उनकी संकल्पना के बारे में जानकारी दी।मुख्य अतिथि डॉ. सुदर्शन कुमार हुड्डा ने कहा कि मेरी शिक्षा के क्षेत्र में डॉ. भीम सिंह मलिक जी का अति महत्वपूर्ण योगदान है उन्होंने लोक साहित्य को बढ़ावा देने के लिए अथक प्रयास किए। डॉ. भीम सिंह मलिक को शिक्षा व सामाजिक विकास की भूख थी और मौका मिलते ही वे उसे पूरा करना चाहते थे। वे कहते थे पहले परिवार का विकास फिर पड़ोस,गाँव, नगर,प्रदेश और देश का विकास करना चाहिए, वह स्थाई रहेगा।अपनी जन्म भूमि का आदर वैसे ही करना चाहिए जैसे मां-बाप का करते हैं। अपनी संस्कृति के विकास के लिए उन्होंने तन-मन-धन का प्रयोग किया। अपनी मेहनत से कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय, कुरुक्षेत्र में लोक साहित्य पाठ्यक्रम में शामिल किया और कई छात्र और छात्राओं से रिसर्च करवाकर लोक साहित्य की पहचान करवाई, नई दिशाएं और राहें खोली।
डॉ. राममेहर सिंह ने ने कहा कि डॉ. भीम मलिक अनुपम,अनूठे,विलक्षण,बेजोड़ व्यक्ति थे।साहित्यकार डॉ. मंजूलता रेढू ने संगोष्ठी में भाव स्वागत किया और कहा कि डॉ. भीम सिंह मलिक उनके लिए उनके शिक्षक,शोध निर्देशक नहीं अपितु उनके जीवन में सबसे ऊंचे स्थान के अधिकारी हैं पूज्य हैं उनके हृदय में बसे हैं। उन्होंने कहा कि डॉ. भीम सिंह मलिक जी का जिक्र आते ही मन मस्तिष्क के दृश्य पटल पर एक ऐसे व्यक्ति का चित्र उभरता है जो पूर्णतया साधा,शहद, सच्चा लोक संस्कृति में पगा एक नेक इंसान हैं। वह अद्भुत संयम के धनी थे। समूचे साहित्य क्षेत्र और जीवन क्षेत्र में आज की पीढ़ी के लिए एक आदर्श चरित्र है। सार्वजनिक जीवन में आर्थिक सुचिता,चारित्रिक दृढ़ता के प्रतीक मलिक साहब निसंदेह हम सबके प्रेरणा स्त्रोत हैं।हिन्दी विभागाध्यक्ष डॉ. एस.के. सिन्हा ने मंच के माध्यम से सभी का स्वागत किया। कार्यक्रम में सम्मानित अतिथि के रूप में विश्वविद्यालय के कुलसचिव प्रोफेसर लवलीन मोहन जी ने शिरकत की। कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि नरहरि बांगड़,भारतीय प्रशासनिक सेवा,आयुक्त नगर निगम,रोहतक माननीय श्री सेवा सिंह जी,श्री राजकिशन नैन जी ने हरियाणवी भाषा एवं साहित्य के प्रचार-प्रसार में डॉ. भीम सिंह मलिक के योगदान विषय पर अपने विचार रखे।बीज वक्ता के रूप में डॉ. अजायब सिंह जी ने भीम सिंह मलिक के साहित्य एवं शिक्षा के क्षेत्र में योगदान करें अपने विचार रखे और मुख्य वक्ता डॉ. जसबीर सिंह ने कहा कि भीमसेन हरियाणवी भाषा एवं साहित्य के विकास के लिए सदैव अविस्मरणीय रहेंगे और कहा कि आज आवश्यकता है डॉ. भीम सिंह मलिक जी के साहित्य को लेकर शोध कार्य करने की ताकि शोधार्थी हरियाणवी भाषा,साहित्य एवं संस्कृति के प्रति उनके लगाव से रूबरू हो सकें। प्रोफेसर पुष्पा ने भीम सिंह मलिक के साहित्यिक योगदान पर विचार रखे। कार्यक्रम में मंच संचालन डॉ. जगदीश शर्मा राही ने किया।लोकरंग धारा न्यास के अध्यक्ष ने सभी अतिथियों का स्वागत किया।
कार्यक्रम में धन्यवाद ज्ञापन संगोष्ठी सह-संयोजक हिंदी-विभाग के सहायक प्रोफेसर डॉ. सुनील काजल ने किया। उन्होंने सभी माननीय अतिथियों का धन्यवाद करते हुए कहा कि हिंदी-विभाग एवं लोकरंग धारा न्यास द्वारा आयोजित यह संगोष्ठी किसी यज्ञ से कम नहीं और इस साहित्यिक यज्ञ में सभी माननीय अतिथियों ने अपनी आहुति डालकर इस यज्ञ को संपन्न करने का कार्य किया है। इस संगोष्ठी में हरियाणा तथा आसपास के क्षेत्रों से हरियाणवी साहित्यकारों ने प्रतिभागिता कर 'डॉ. भीम सिंह मलिक जी के योगदान का रेखांकन' विषय पर अपने विचार रखे।
हिंदी-विभाग की शुरुआत इसी वर्ष चौधरी रणबीर सिंह विश्वविद्यालय में की गई और यह बहुत ही गौरव की बात है कि एम.ए. हिंदी पूर्वार्द्ध के पाठ्यक्रम में हरियाणवी लोक साहित्य: हरियाणवी लोक नाट्य विषय को सम्मिलित किया गया है और इस विषय में उत्कृष्ट कार्य को देखते हुए एम.ए. की छात्रा मीनू को 2100 रुपये से सम्मानित भी किया गया।