हवन एवं व्याख्यान
आज चौधरी रणबीर सिंह विश्वविद्यालय जींद में सरकार द्वारा निर्देशित नियमों का सख्त रुप से पालन करते हुए विश्वविद्यालय कुलपति प्रोफेसर सोमनाथ सचदेवा जी के शुभकामना संदेश के साथ विश्वविद्यालय प्रांगण में हवन एवं व्याख्यान का आयोजन किया गया । विश्वविद्यालय कुलसचिव माननीय प्रोफेसर लवलीन मोहन जी ने कहा कि करोना महामारी की भयंकर त्रासदी से बचाव हेतु औषधियों युक्त हवन का आयोजन आज की अनिवार्यता प्रतीत होती है! प्रोफेसर लवलीन मोहन जी ने हवन की आहूतियों के साथ सब के स्वस्थ एवं मंगल जीवन की कामना की। हवन एवं व्याख्यान का आयोजन विश्वविद्यालय अधिष्ठाता छात्र कल्याण द्वारा किया गया। छात्र कल्याण की अधिष्ठाता डॉ ज्योति श्योराण ने कहा कि छात्रों एवं विश्वविद्यालय सदस्यों की स्वास्थ्यवर्धक हेतु इस तरह के कार्यक्रमों का आयोजन करवाया जाता है। हवन कार्यक्रम के बाद भारतीय संस्कृति के खास व्यंजन ‘हलवा’ को प्रसाद के रूप में वितरित किया गया। इसके पश्चात सोशल डिस्टेंसिंग का सख्ती से पालन करते हुए ‘भारतीय संस्कृति विचार एवं संस्कार’ विषय पर व्याख्यान द्वारा उपस्थित जनों के ज्ञान में वृद्धि की गई। इस विषय पर व्याख्यान हेतु विशेष विशेषज्ञ श्री रास बिहारी जी केंद्रीय मंत्री विश्व हिंदू परिषद को आमंत्रित किया गया। श्री रास बिहारी जी ने अपने व्याख्यान ने बताया कि आहार, निंद्रा, भय, पशु और व्यक्ति में एक समान है। धरती माता की सेवा करना हमारा परम धर्म है। भारतीय संस्कारों का व्याख्यान करते हुए कहा कि सबसे पहले हाथ की हथेली मे दर्शन करना, हाथों में देव और भगवान के दर्शन होंगे तो इन हाथों से कोई भी गलत काम नहीं होगा। हमें सुबह उठकर बड़ों को प्रणाम करना चाहिए! आयु, विद्या, यश व बल मे वृधि होती है। सारे संसार का आधार संतुलन है। किसी भी कार्य को सही ढंग से करने के लिए अभ्यास जरूरी है। मन, आत्मा और शरीर को स्वच्छ रखने के लिए अच्छी महान विभूतियों की पुस्तकों को पढ़ना चाहिए। अच्छे विचारों का आदान प्रदान करना चाहिए। विश्वविद्यालय कुलसचिव लवलीन मोहन कहा कि संस्कार की आवश्यकता संसार को आज के दिन अधिक है। प्रथम शिक्षिका सावित्री बाई फुले का जन्म दिवस है और वह हमारी सबसे पहली शिक्षिका थी। हमारा और प्रकृति का एक रिश्ता है जो आज इंसान और जंगली जानवर की तरह हो गया है। क्योंकि इस महामारी ने हमें यह संकेत दिया है। अच्छे संस्कारों की शिक्षा हमें घर, परिवार और शिक्षण संस्थानों से मिलती है। संस्कारों की शिक्षा हमें जीवन में आगे बढ़ने की प्रेरणा देती है। हम सब ने मिलकर इस संसार को शिक्षा व संस्कार के मामले में आगे लेकर जाना है। हमें अच्छे संस्कार के साथ अच्छे कामों की शुरुआत भी खुद से करनी चाहिए। इस कार्यक्रम के आयोजन में विशेष रुप से सहयोगी डॉ वीरेंद्र आचार्य जी एवं कुमारी सुमन पुनिया रहे। इस मौके पर परीक्षा नियंत्रक डॉक्टर राजेश बंसल , डॉ जसवीर सूरा, डॉ जितेंद्र कुमार, डॉ अनिल कुमार, डॉ राजेश कुमार, डॉ सतेंदर मलिक, डॉ भावना डॉ कविता डॉ मंजू सुहाग, डॉ ममता ढांडा, डॉ दलबीर, व कुमारी पल्लवी मौजूद रहे।