शोध से व्यक्ति की बौद्धिक एवं तार्किक क्षमता में वृद्धि होती है: कुलपति
शोध से व्यक्ति की बौद्धिक एवं तार्किक क्षमता में वृद्धि होती है: कुलपति डॉ. रणपाल सिंह
चौधरी रणबीर सिंह विश्वविद्यालय,जींद के कला संकाय द्वारा 'शोध प्रबंध लेखन,शोध नैतिकता और साहित्यिक चोरी' विषय पर कार्यशाला आयोजित करवाई गई। इस कार्यशाला में विश्वविद्यालय कुलपति डॉ. रणपाल सिंह ने विद्यार्थियों को विश्व मातृभाषा दिवस की बधाई देते हुए कहा कि शोध से व्यक्ति की भौतिक एवं तार्किक क्षमता में वृद्धि होती है और वह नवीन तथ्यों का संकलन करते हुए शोध के क्षेत्र में नए आयाम स्थापित करता है।
विश्वविद्यालय कुलसचिव प्रोफेसर लवलीन मोहन ने विद्यार्थियों को विश्व मातृभाषा दिवस की बधाई दी और कहा कि शोध करते समय हमारे सामने नए तथ्य निकलकर सामने आते हैं और फिर उन तथ्यों के आधार पर ही हम निष्कर्ष प्रस्तुत करते हैं जो समाज के लिए कल्याणकारी सिद्ध होते हैं।
कला संकाय के अधिष्ठाता प्रोफेसर एस.के सिन्हा ने विद्यार्थियों को आज की कार्यशाला के मुख्य वक्ता डॉ. रवि भूषण,अध्यक्ष अंग्रेजी विभाग,भगत फूल सिंह विश्वविद्यालय,खानपुर कलां तथा डॉ. आलोक रंजन पाण्डेय एसोसिएट प्रोफेसर हिंदी विभाग रामानुजन कॉलेज दिल्ली से परिचित करवाते हुए मुख्य वक्ताओं का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि स्नातकोत्तर विद्यार्थियों के लिए शोध विषय पढ़ना अत्यंत आवश्यक है इस विषय को पढ़ते हुए शोधार्थी पीएचडी के दौरान शोध कार्य सरलतापूर्वक कर सकता है। शोध करते समय विद्यार्थियों को साहित्यिक चोरी से बचना चाहिए इसके बारे में भी प्रोफेसर एस.के. सिन्हा ने विद्यार्थियों को जानकारी दी।
डॉ. रवि भूषण अध्यक्ष अंग्रेजी विभाग भगत फूल सिंह विश्वविद्यालय,खानपुर कलां ने अपने व्याख्यान में सबसे पहले विद्यार्थियों को मातृभाषा दिवस की बधाई दी और उसके बाद अनुसंधान सिद्धांत और अभ्यास विषय पर विस्तार पूर्वक प्रकाश डाला।डॉ. रवि भूषण ने कहा कि समस्या का समाधान करने के लिए हम शोध करते हैं तथा शोध करते समय हमें अनेक चुनौतियों का सामना करना पड़ता है और उसके बाद ही हमारे सामने नए तथ्य निकल कर सामने आते हैं। उन्होंने कहा कि शोध के लिए संवाद अति आवश्यक है।
हिंदी विभाग रामानुजन कॉलेज,दिल्ली के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. आलोक रंजन पांडे ने शोध प्रविधि, शोध के सोपान एवं साहित्यिक चोरी विषय पर विस्तारपूर्वक प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि शोध की प्रक्रिया से नवीन ज्ञान की वृद्धि होती है इसमें सामान्य नियमों तथा सिद्धांतों के प्रतिपादन पर बल दिया जाता है। शोध एक तार्किक तथा वस्तुनिष्ठ प्रक्रिया है। शोध की प्रक्रिया में प्रदत्तों के आधार पर परिकल्पनाओं की पुष्टि की जाती है शोध कार्य में धैर्य अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने अनुसंधान के आठ सोपान बताते हुए उनके बारे में विस्तृत जानकारी दी और उन्होंने कहा कि साहित्यिक चोरी का तात्पर्य है बौद्धिक चोरी से है। किसी के विचारों की प्रतिलिपि बनाना और उनका उपयोग करना और प्राप्त स्रोतों का उल्लेख किए बिना या स्रोत का श्रेय दिए बिना काम करना साहित्यिक चोरी है।हमें शोध करते समय ऐसा नहीं करना चाहिए।
कार्यशाला में मंच संचालन सह-संयोजक सहायक प्रोफेसर पल्लवी ने किया। इस कार्यशाला में सहायक प्रोफेसर ममता ढांडा, डॉ. सुनील काजल,डॉ. सुमन चहल,सुनील कुमार और अंग्रेजी तथा हिंदी विभाग के सभी विद्यार्थी उपस्थित रहे।