“द कंट्रीब्यूशन ऑफ डॉक्टर भीमराव अंबेडकर इन नेशनल बिल्डिंग” विषय पर एक दिवसीय एक्सटेंशन लेक्चर का आयोजन
चौधरी रणबीर सिंह विश्वविद्यालय जींद में एस टी एस सी सेल द्वारा डॉक्टर भीमराव अंबेडकर जयंती के उपलक्ष में "द कंट्रीब्यूशन ऑफ डॉक्टर भीमराव अंबेडकर इन नेशनल बिल्डिंग" विषय पर एक दिवसीय एक्सटेंशन लेक्चर का आयोजन किया गया। जिसके कन्वीनर डॉक्टर राकेश सिह्मार इकोनॉमिक्स डिपार्टमेंट से रहे।
एस टी एस सी सेल के कन्वीनर डॉक्टर राकेश सिह्मार ने सभी का सभागार में पहुंचने पर स्वागत व् अभिनन्दन किया|
इस प्रोग्राम में मुख्य अतिथि के रूप में डॉ रविंद्र सिंह बलियाना चेयरमैन हरियाणा स्टेट कमिशन फॉर शेड्यूल कास्ट पंचकूला, मुख्य वक्ता के रूप में डॉ गौरव पठानिया असिस्टेंट प्रोफेसर साइकोलॉजी एंड पीस बिल्डिंग यूनिवर्सिटी यूएसए, विशिष्ट अतिथि के रूप में डॉक्टर जी एस चौहान ज्वाइंट सेक्रेटरी यूजीसी न्यू दिल्ली से पहुंचे। इस प्रोग्राम के चीफ पैटर्न विश्वविद्यालय कुलपति डॉ रणपाल सिंह व पैटर्न विश्वविद्यालय कुलसचिव प्रोफेसर लवलीन मोहन रहे। एस टी एस सी सेल के नोडल ऑफिसर डॉक्टर राकेश सिमर रहे।
सुबह के स्तर में ऑनलाइन माध्यम से जुड़े मुख्य वक्ता के रूप में डॉ गौरव पठानिया असिस्टेंट प्रोफेसर साइकोलॉजी एंड पीस बिल्डिंग यूएसए यूनिवर्सिटी से जुड़े उन्होंने डॉक्टर भीमराव अंबेडकर की जीवनी पर प्रकाश डालते हुए बताया कि डॉक्टर भीमराव अंबेडकर को सब संविधान के रचयिता के रूप में जानते हैं परंतु उन्होंने केवल संविधान का निर्माण ही नहीं किया बल्कि राष्ट्र के बारे में भी बताया है और कहा है कि यह एक सामाजिक फीलिंग है जिसमें सब लोग एक साथ हैं उन्होंने कहा कि इंसान को सामाजिक रहना चाहिए और भूतकाल के बारे में ज्यादा नहीं सोचना चाहिए सभी व्यक्तियों के अपने अधिकार हैं और उन अधिकारों का हमें पालन करना चाहिए। डॉक्टर भीमराव अंबेडकर के जीवन से प्रेरणा लेनी चाहिए और देश की उन्नति और प्रगति में अपना योगदान देना चाहिए।
दूसरे मुख्य अतिथि के रूप में विश्वविद्यालय में पहुंचे रविंद्र सिंह बलियाना चीफ सेक्रेटरी हरियाणा ने सभी को संबोधित करते हुए कहा कि डॉक्टर भीमराव अंबेडकर एक बहुत बड़े अर्थशास्त्र के ज्ञाता थे। उन्होंने ना केवल भारत का संविधान बनाने में अपना विशेष योगदान दिया बल्कि उस समय में शिक्षा के क्षेत्र को बढ़ावा देने में भी अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। डॉक्टर भीमराव अंबेडकर ने लॉ की डिग्री के साथ दो एम ए एमफिल और पीएचडी की डिग्री भी हासिल की। उसके बाद वह लॉ कॉलेज के प्रिंसिपल भी रहे और बाद में भी लोगों के बहुत बड़े प्रोफेसर बने। उन्होंने देश सेवा और समाज सेवा में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया। उन्होंने 60 देशों के संविधान को पढ़कर भारत के संविधान का निर्माण किया और उसमें लोगों को हर प्रकार के अधिकार दिलवाए। उन्होंने देश में महिलाओं के लिए भी कार्य किए उनको समाज में वोट डालने का अधिकार दिलाया और साथ में शिक्षा के क्षेत्र में भी आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया और हर क्षेत्र में उनको समान अधिकार दिलाने के लिए अहम योगदान दिया । उन्होंने महिलाएं ही नहीं बल्कि हर जाति समुदाय के लोगों के लिए काम किया और आरक्षण दिलवाया। डॉक्टर भीमराव अंबेडकर देश के पहले ऐसे व्यक्ति थे जिन्होंने विदेश में जाकर पीएचडी की डिग्री हासिल की। उन्होंने देश में एग्रीकल्चर को बढ़ावा देने के लिए बहुत ही की में चलाई और देश में अनाज पैदा करने के लिए और खाद्य पदार्थों की पूर्ति को पूरा करने के लिए संघर्ष किया। उन्होंने बहुत सारी पुस्तकें भी लिखी और जिनमें इंडियन इकोनॉमिक् का भी जिक्र किया।
तदोपरांत कार्यक्रम का दूसरा सत्र आरंभ हुआ जिसमें विशिष्ट अतिथि के रूप में डॉ जी. एस चौहान जी ने शिरकत की । उनके साथ श्रीमान विजेंद्र बडगूजर (वाइस चेयरमैन हरियाणा स्टेट कमिशन फॉर शेड्यूल कास्ट) और श्रीमती मीना नरवाल जी भी रही । विशिष्ट अतिथि जी ने बच्चों को बाबा साहेब जी के जीवन के मूल्यों के प्रति जागरूक किया जीवन में सफल बनाने के सूत्रों पर प्रकाश डाला और भीमराव अंबेडकर जी के जीवन में शिक्षा के महत्व पर प्रकाश डाला और नारी शक्ति का क्या योगदान है नारी शक्ति का क्या महत्व है इस बात के ऊपर भी प्रकाश डाला। उन्होंने बताया प्रत्येक व्यक्ति को अपने जीवन में भीमराव अंबेडकर जी से सीखने की आवश्यकता है। उन्होंने अपने जीवन से पूरे समाज को लाभान्वित किया है । उन्होंने बताया जात-पात का भेद नहीं करना चाहिए। उन्होंने बताया कि यह एक भ्रांति है कि महात्मा गांधी जी और अंबेडकर जी की बनती नहीं थी मैंने ऐसा किसी पुस्तक में नहीं पढा। उन्होंने जीवन में अध्यापक के महत्व पर भी प्रकाश डाला उन्होंने कहा अध्यापक का हर छात्र के जीवन में महत्वपूर्ण योगदान होता है। उन्होंने बताया बाबा साहब अंबेडकर मानते थे कि भारत के पिछड़ेपन का मुख्य कारण भूमि-व्यवस्था के बदलाव में देरी है । इसका समाधान लोकतांत्रिक समाजवाद है जिससे आर्थिक कार्यक्षमता एवं उत्पादकता में वृद्धि होगी तथा ग्रामीण अर्थव्यवस्था का कायापलट संभव होगा ।
इस मौके पर विश्वविद्यालय कुलसचिव प्रोफेसर लवलीन मोहन ने मुख्य अतिथि व मुख्य वक्ता का ऑनलाइन ओर ऑफलाइन माध्यमों से जुड़ने के लिए धन्यवाद ज्ञापन किया और डॉक्टर भीमराव अंबेडकर के बारे में अपने विचार साझा किए उन्होंने बताया कि वह इकोनॉमिक्स में गहराई से विचार रखे थे उन्होंने देश के हर कार्य में अपना योगदान दिया और उनको पूरा करने के लिए संघर्ष किया। डॉक्टर भीमराव अंबेडकर की जीवनी से युवाओं को सीख लेनी चाहिए और उनके विचारों को अपने जीवन में लाना चाहिए उन्होंने देश में शिक्षा के महत्व को बढ़ाने के लिए एजुकेशन को महत्व दिया। सभी को डॉक्टर भीमराव अंबेडकर के बनाए सिद्धांतों पर चलना चाहिए और देश को विश्व गुरु बनाने में अपना योगदान देना चाहिए।
मंच का संचालन डॉ सुमन पूनिया द्वारा किया गया। इस मौके पर डीन एकेडमिक अफेयर प्रोफेसर एसके सिन्हा, डॉक्टर सुनील फोगाट, डॉ जितेंद्र कुमार, डॉ नरेश देशवाल, डॉ प्रवीण गहलावत, डॉक्टर नवीन लडवाल, डॉक्टर अनिल कुमार, डॉ विजय कुमार, डॉ सुनील रोहिल्ला, डॉ अरुण कुमार, डॉ भावना, डॉ कविता, डॉ कृष्ण कुमार आदि मौजूद रहे |