“योग और प्राकृतिक चिकित्सा से हृदय रोग और उच्च रक्तचाप की देखभाल” के विषय में छात्रों को अवगत करवाया
चौधरी रणबीर सिंह विश्वविद्यालय, जींद में योग विज्ञान विभाग द्वारा साप्ताहिक कार्यशाला के दूसरे दिन डॉ० एच.एस. हुड्डा ने रिसोर्स पर्सन के तौर पर “योग और प्राकृतिक चिकित्सा से हृदय रोग और उच्च रक्तचाप की देखभाल” के विषय में छात्रों को अवगत करवाया।
चौधरी रणबीर सिंह विश्वविद्यालय, जींद में योग विज्ञान विभाग द्वारा साप्ताहिक कार्यशाला के दूसरे दिन डॉ० एच.एस. हुड्डा ने रिसोर्स पर्सन के तौर पर “योग और प्राकृतिक चिकित्सा से हृदय रोग और उच्च रक्तचाप की देखभाल” के विषय में छात्रों को अवगत करवाया, जिसके अंतर्गत दिनचर्या आहार एवं विहार की महत्ता को मुख्य वैद्य बताया।
इस अवसर पर विश्वविद्यालय कुलपति डॉ० रणपाल सिंह ने कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट में बताया है कि दुनिया भर में लोगों को कोलेस्ट्रॉल लेवल सामान्य से ऊपर है और यह बढ़ा हुआ कोलेस्ट्रॉल हर तीसरे हार्ट अटेक का कारण है। इसीलिए हमें अपनी जीवन शैली में योग और प्राकृतिक चिकित्सा को अवश्य अपनाना चाहिए।
विश्वविद्यालय कुलसचिव प्रो० लवलीन मोहन ने बताया कि योग में विभिन्न आसन होते हैं जो हृदय के स्वास्थ्य को बनाए रखने में मदद कर सकते हैं। ध्यान, प्राणायाम, और सूर्य नमस्कार जैसे आसनों से हृदय के कार्यक्षमता में सुधार हो सकता है। दीर्घकालीन श्वास, अनुलोम विलोम, भ्रामरी, और कपालभाति जैसे प्राणायाम तकनीकें रक्तचाप को नियंत्रित करने में मदद करती हैं और हृदय के लिए लाभकारी होती हैं।
अधिष्ठाता, मानविकी संकाय प्रो० एस.के. सिन्हा ने कहा कि ध्यान करना मानसिक चिंताओं को कम करने में मदद करता है और इससे स्ट्रेस कम होने से हृदय के स्वास्थ्य में सुधार होता है। प्राकृतिक आहार जैसे फल, सब्जियाँ, अनाज, और अन्य स्वस्थ आहार का सेवन करना हृदय रोगों से बचाव में मदद करता है। आयुर्वेद में हृदय रोग के लिए विभिन्न औषधियाँ और चिकित्सा पद्धतियाँ हैं जो शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को सुधारने में मदद करती हैं।
प्राकृतिक चिकित्सा उपचारों में जल, वायु, आदि का सही तरीके से उपयोग करने की कला है, जिससे शरीर का संतुलन बना रहता है और रोगों से बचाव होता है। कई जड़ी-बूटियों का उपयोग भी हृदय रोगों के इलाज में किया जा सकता है, जैसे अर्जुना, अश्वगंधा, गुड़मार, और अन्य। साथ ही, हमेशा यह जरूरी है कि आप किसी भी नए योग या चिकित्सा प्रणाली की शुरुआत से पहले अपने चिकित्सक से परामर्श करें ताकि वे आपकी स्थिति को ध्यान में रखते हुए सही सलाह दे सकें। हृदय रोग के कारणों के प्रति छात्रों को सजग करवाया एवं हृदय रोग के कारणों को दूर करने के उपाय में भोजन के स्वरूप में चुकंदर एवं गाजर के प्रयोग को बताया। आसन एवं प्राकृतिक चिकित्सा के अंतर्गत आने वाली विभिन्न विधाओं जैसे मिट्टी पट्टी ,हॉट आर्म, फुटबाथ एवं उपवास आदि के माध्यम से स्वास्थ्य संवर्धन के गुढ रहस्य को उजागर किया। विशिष्ट अतिथि के रूप में कार्यक्रम में परीक्षा नियंत्रक महोदय डाॅ. निहाल सिंह चाहर जी ने शिरकत की। योग विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ० कुलदीप नारा, प्रभारी श्रीमती ज्योति मलिक एवं सहयोगी प्राध्यापक डॉ. वीरेंद्र कुमार, डॉ.जयपाल सिंह राजपूत, डॉ. मंजू सुहाग ,डॉ. सुमन पूनिया तथा योग विज्ञान विभाग और अन्य विभागों के विद्यार्थी उपस्थित रहे। मंच संचालन डॉक्टर जयपाल सिंह राजपूत सहायक प्राध्यापक विज्ञान विभाग द्वारा किया गया।