मोबाइल की लत से छुटकारा, आज के समय की मांग- नरेश जागलान
चौधरी रणबीर सिंह विश्वविद्यालय, जींद के डिपार्टमेंट ऑफ़ कंप्यूटर साइंस एंड एप्लीकेशन्स में मोबाइल की लत छोड़ने के विषय पर कार्यशाला का आयोजन किया गया। जिसमें मुख्य वक्ता के तौर पर मनोवैज्ञानिक नरेश जागलान ने तथ्यों के आधार पर विद्यार्थियों को जानकारी दी। उन्होंने बताया कि विश्व के 70% लोग अपना मोबाइल किसी भी समय बंद ही नहीं होने देते। 81% लोग सुबह उठते ही सबसे पहले अपने मोबाइल की जांच करते हैं एवं रसोई घर, शौचालय, शयनकक्ष, बैठक आदि में मोबाइल का इस्तेमाल करते हैं। मनोवैज्ञानिकों ने एक शोध में पाया की लगभग 70% लोग इसी कारण से तनाव में आ जाते हैं कि उनके मोबाइल की बैटरी खत्म होने वाली है। आज के समय में बच्चों को शरारतें करने पर कम एवं मोबाइल इस्तेमाल करने पर ज्यादा डांट पड़ती है। उन्होंने कहा कि यदि जिंदगी में सफलता पाना चाहते हैं तो पढ़ाई के वक्त मोबाइल से दूरी बनाकर रखें एवं ज्यादा से ज्यादा वक्त किताबें को पढ़ने एवं लिखने में लगाए। सोशल मीडिया पर समय को कम करें तथा फोन को बार-बार जांचने की आदत समाप्त करें। सप्ताह में एक दिन मोबाइल का उपवास रखें। किसी भी परिस्थिति में उस दिन मोबाइल का उपयोग मत करें एवं हो सके तो उसे स्विच ऑफ करके रखें।
विश्वविद्यालय कुलपति डॉ० रणपाल सिंह ने कहा कि मोबाइल की लत एक आधुनिक नशा है। जिस प्रकार सिगरेट से फेफड़े, शराब से लीवर खराब होता है; उसी प्रकार मोबाइल का अधिक उपयोग से मनुष्य को मानसिक रूप से बीमार हो रहा है। इसलिए मानसिक रूप से स्वस्थ रहने के लिए विद्यार्थियों को मोबाइल का न्यूनतम इस्तेमाल करना चाहिए। उन्होंने कहा कि जिस प्रकार कंप्यूटर साइंस एवं एप्लीकेशन विभाग ने मोबाइल की लत छुड़ाने के लिए इस कार्यशाला का आयोजन किया है, उसी प्रकार बाकी विभागों में भी इस कार्यशाला का आयोजन किया जाएगा।
विश्वविद्यालय कुलसचिव प्रो० लवलीन मोहन ने कहा कि बहुत ज्यादा मोबाइल का इस्तेमाल करना हमारी आँखों के लिए बहुत घातक सिद्ध होता जा रहा है और इसके ज्यादा इस्तेमाल से हम अपने आप और अपनों सा बहुत दूर होते जा रहे हैं। कंप्यूटर साइंस एवं एप्लीकेशन विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ० अनुपम भाटिया ने कहा कि मोबाइल की लत जीवन का विनाश करने वाली है। एक बार मोबाइल के आविष्कारक मार्टिन कूपर ने एक व्यक्ति को मोबाइल पर बात करते हुए सड़क पार करते हुए देखा और कहा कि यदि मुझे पता होता लोग मोबाइल का इस प्रकार दुरुपयोग करेंगे तो मैं मोबाइल का आविष्कार ही नहीं करता। परंतु आज हम अपना बहुत सा समय मोबाइल पर विभिन्न गतिविधियों में व्यर्थ कर रहे हैं। हमें किसी भी आविष्कार का दुरूपयोग की जगह सदुपयोग करना चाहिए। हम सबको यह प्रण करना चाहिए कि मोबाइल का उपयोग केवल संपर्क हेतु एवं ज्ञान प्राप्त करने हेतु करेंगे तथा दिन में एक-डेढ़ घंटे से ज्यादा मोबाइल का इस्तेमाल नहीं करेंगे।