अंग्रेजी एवं हिन्दी विभाग में कम्युनिकेशन स्किल्स फॉर पर्सनैलिटी डेवलपमेंट प्रशिक्षण कार्यशाला
चौधरी रणबीर सिंह विश्वविद्यालय, जींद के अंग्रेजी एवं हिन्दी विभाग में कम्युनिकेशन स्किल्स फॉर पर्सनैलिटी डेवलपमेंट प्रशिक्षण कार्यशाला
‘समूह चर्चा की शब्दावली और शिष्टाचार’ (वोकैब्युलेरी एण्ड एटीकुएटेस ऑफ ग्रुप डिस्कशन) व संघर्ष प्रबंधन (कॉन्फ्लिक्ट मैनेजमेंट) प्रशिक्षण कार्यशाला का पांचवा दिन
चौधरी रणबीर सिंह विश्वविद्यालय, जींद के अंग्रेजी एवं हिन्दी विभाग में कम्युनिकेशन स्किल्स फॉर पर्सनालिटी डेवलपमेंट प्रशिक्षण कार्यशाला के अंतर्गत पांचवें दिन ‘समूह चर्चा की शब्दावली और शिष्टाचार’ (वोकैब्युलेरी एण्ड एटीकुएटेस ऑफ ग्रुप डिस्कशन) व संघर्ष प्रबंधन (कॉन्फ्लिक्ट मैनेजमेंट) विषय पर छात्राओं को जानकारी दी गई।
विश्वविद्यालय कुलपति डॉ० रणपाल सिंह ने बताया कि समूह चर्चा की शब्दावली विविध और समृद्ध होनी चाहिए ताकि सभी सदस्यों को संवाद करने और विचार विनिमय करने का सही माध्यम मिले। हर व्यक्ति को अपनी बारी में अपने विचार रखने का अवसर देना चाहिए।
विश्वविद्यालय कुलसचिव प्रो० लवलीन मोहन ने बताया कि संघर्ष प्रबंधन (कॉन्फ्लिक्ट मैनेजमेंट) विद्यार्थियों को समस्याओं और चुनौतियों का सही तरीके से सामना करने के लिए आवश्यक एक महत्वपूर्ण कौशल है। यह उन्हें सहायता करता है कि वे अपनी शक्तियों का सही तरीके से उपयोग करें और कठिनाइयों को पार करने के लिए तैयार रहें। विद्यार्थियों को समस्या को समझने और इसका उचित विश्लेषण करने के लिए प्रेरित करना महत्वपूर्ण है। वे समस्या के विभिन्न पहलुओं को समझें ताकि ठोस समाधान निकाल सकें।
अधिष्ठाता, मानविकी संकाय प्रो॰ संजय कुमार सिन्हा ने कहा कि समूह चर्चा और शिष्टाचार दो महत्वपूर्ण सामाजिक और व्यक्तिगत कौशल हैं जो हमारे जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। यहाँ इन दोनों विषयों के बारे में विद्यार्थियों को जानकारी देने के लिए कुछ महत्वपूर्ण विचार दिए जा रहे हैं। समूह चर्चा का उद्देश्य और विषय स्पष्ट और संक्षेपित होना चाहिए।
इस अवसर पर प्रशिक्षण एवं प्लेसमेंट सेल डायरेक्टर डॉ० अनुपम भाटिया ने संघर्ष प्रबंधन (कॉन्फ्लिक्ट मैनेजमेंट) के विषय पर विद्यार्थियों को उनके लक्ष्यों और उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए उचित योजनाएं बनाने के लिए कहा। संघर्ष का सम्मान और अभ्यास महत्वपूर्ण है। उन्होंने विद्यार्थियों को उनकी योग्यताओं और संकटों के साथ सामना करने के लिए अधिक अभ्यास करने की सलाह दी।
प्रशिक्षक श्रीमती दीपाली एवं श्री संदीप ने बताया कि ‘समृद्ध शब्दावली’ विभिन्न विषयों पर चर्चा करते समय, विभिन्न शब्दों का उपयोग करें ताकि विभिन्न विचारों को व्यक्त करने में मदद मिले। ‘स्पष्ट और संक्षेपित’ शब्दों का इस्तेमाल ऐसे करें जो आसानी से समझे जा सके और विचारों को संक्षेपित रूप में प्रस्तुत करें। समूह चर्चा में समर्पण और ध्यान सबसे महत्वपूर्ण हैं। व्यक्ति को अपने विचारों को स्पष्ट रूप से प्रस्तुत करने के लिए समय दिया जाना चाहिए। विचारों के विभिन्न होने का सम्मान करना महत्वपूर्ण है। समूह चर्चा में लोगों को अपनी विचारों के लिए समर्पित रहने की अनुमति देनी चाहिए, चाहे वे सहमत हों या असहमत। अक्सर, समय का सही तरीके से प्रबंधन नहीं करने के कारण विद्यार्थियों को तनाव होता है। उन्हें विद्यार्थियों को समय को सही तरीके से व्यवस्थित करने के लिए प्रेरित किया। दूसरों के विचारों का महत्वपूर्ण सम्मान करना महत्वपूर्ण है। सम्मान और विनम्रता दिखाना उचित है। शिष्ट भाषा का पालन करें और सम्मान पूर्वक अभिवादन करें। गलत शब्दों का प्रयोग न करें और सभी के साथ उचित रूप से व्यवहार करें। उन्होंने विद्यार्थियों को इस विषय से संबंधी कुछ सुझाव दिए जैसे कि ‘संवादयोग्य शब्दों का चयन’ समूह चर्चा के लिए शब्दों का विचार करते समय, सभी सदस्यों को समझने में सहायता करने वाले शब्दों का चयन करें।
डॉ॰ देवेन्द्र सिंह ने प्रशिक्षण एवं प्लेसमेंट सेल डायरेक्टर डॉ० अनुपम भाटिया, नांदी फाउंडेशन पंजाब एवं हरियाणा के संयोजक श्री तरुण शर्मा का हार्दिक धन्यवाद किया और बताया कि शिष्टाचार में एक सुरक्षित और स्वस्थ माहौल बनाना महत्वपूर्ण है। किसी को अत्यधिक असहमति का अभिवादन नहीं करना चाहिए। विचारों को संतुलित रूप से प्रस्तुत करने का प्रयास करें और किसी के भावनाओं को नुकसान पहुंचाने से बचें।