“अनुसंधान और प्रकाशन नैतिकता” विषय पर हुआ दो दिवसीय बहुआयामी राष्ट्रीय संगोष्ठी का समापन
चौधरी रणबीर सिंह विश्वविद्यालय जींद में डीन एकेडमिक अफेयर्स और केंद्रीय पुस्तकालय के संयुक्त तत्वावधान में आज से "अनुसंधान और प्रकाशन नैतिकता" विषय पर दो दिवसीय (16-17 मार्च, 2023) बहुआयामी राष्ट्रीय संगोष्ठी का समापन हुआ।
इस अवसर पर संगोष्ठी निर्देशक प्रोफेसर एस०के० सिन्हा ने गणमान्य अतिथियों को संगोष्ठी शीर्षक "अनुसंधान और प्रकाशन नैतिकता" से अवगत कराया और बताया कि यूजीसी के नियमानुसार शोध कार्य के लिए दो क्रेडिट का कोर्स अनिवार्य है इस उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए संगोष्ठी का आयोजन किया गया है । इसमें 254 से अधिक प्रतिभागियों ने पंजीकरण कराया तथा दोनों दिनों में चार अलग-अलग तकनीकी सत्रों के माध्यम से प्रतिभागियों द्वारा शोध पत्रों का वाचन किया गया है ।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे कुलपति डॉ० रणपाल सिंह ने इस तरह के कार्यक्रमों के पश्चात शोधार्थियों से फीडबैक प्राप्त करने की आवश्यकता पर जोर दिया । इस अवसर पर उन्होंने आए हुए गणमान्य अतिथियों के प्रति आभार व्यक्त किया ।
कार्यक्रम की संरक्षिका प्रोफेसर लवलीन मोहन ने बताया कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुसार नैतिक और मानवीय मूल्यों का शिक्षा में समावेश होना अत्यंत आवश्यक है । शोधकर्ता को शोधकार्य पूर्ण गंभीरता से करना चाहिए, भारत सरकार द्वारा शोधकार्य के लिए आर्थिक सहयोग प्रदान किया जाता है तथा नीति आयोग द्वारा उपयुक्त शोधों के आधार पर राष्ट्र विकास के लिए उत्तम नीतियों का निर्धारण करने में सहायता प्राप्त होती है । उन्होंने 'अनुसंधान और प्रकाशन नैतिकता' विषय पर संगोष्ठी आयोजित करने के लिए आयोजन समिति को अपनी शुभकामनाएं तथा आए हुए सभी प्रतिभागियों को संगोष्ठी का हिस्सा बनने पर बधाई दी।
समापन अवसर पर रहे उन्होंने अपने उद्बोधन में बताया के वर्तमान समय में भारत वर्ष विश्व की पांचवीं अर्थव्यवस्था बन चुका है और आने वाले कुछ ही वर्षों में भारत विश्व की तीसरी अर्थव्यवस्था के रूप में उभरेगा जिसका श्रेय उपयुक्त नेतृत्व क्षमता तथा गुणात्मक शोध कार्य को बढ़ावा देने से ही संभव है । उन्होंने बताया कि कर्मठता, दृढ़निश्चय और लगन से ही आगे बढ़ा जा सकता है । इस अवसर पर उन्होंने प्राध्यापकों की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा कि प्राध्यापकों का स्थान कोई पुस्तकालय अथवा ऊँची ऊँची भव्य इमारतें नहीं ले सकती है । अतः विश्वविद्यालय में उपयुक्त नेतृत्व क्षमता तथा प्राध्यापकों के कुशल नेतृत्व में शोधार्थियों को गुणात्मक शोध कार्य करने के लिए प्रेरित करना चाहिए ।
मुख्य वक्ता प्रोफेसर मनोज कुमार जोशी विभागाध्यक्ष पुस्तकालय एवं सूचना विज्ञान विभाग कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय रहे। उन्होंने बताया कि वर्तमान समय में जागरूकता, ज्ञान की प्राप्ति, कार्यकुशलता तथा संस्थानों में उपयुक्त निर्देशन में नैतिकता की अत्यंत आवश्यकता होती है । शोधकर्ताओं को स्थापित मानकों के अनुरूप शोध कार्य करना चाहिए, उन्हें उपयुक्त शोध प्रविधियों का समुचित ज्ञान होना चाहिए और अपने कार्य को पूर्ण निष्ठा के साथ करना चाहिए। जो भी कार्य किया जाए वह पूर्ण रूप से नैतिक मूल्यों से युक्त होना चाहिए । विश्वविद्यालयों में नैतिक समिति के द्वारा शोधकर्ता के शोधकार्य का मूल्यांकन करना तथा इसके साथ-साथ डीएआईपी और आईआईएपी जैसे पैनल का होना यूजीसी के अनुसार अनिवार्य है तथा इससे शोध कार्य की गुणवत्ता को महत्व देते हुए राष्ट्र निर्माण में योगदान प्राप्त होगा ।
विशिष्ट अतिथि के रूप में डॉ० अंकेश्वर प्रकाश, परीक्षा नियंत्रक, कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय रहे। उन्होंने बताया कि जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में नैतिकता का समावेश होना चाहिए। उन्होंने विश्व में स्थापित प्रतिष्ठित संस्थानों के मानकों पर भारतवर्ष के शोध कार्य को कसौटी पर खरे उतरने की आवश्यकता पर जोर दिया । शोधार्थियों के लिए यूजीसी द्वारा दो क्रेडिट का कोर्स अनिवार्य किया गया है जिससे सार्वजनिक व व्यक्तिगत जीवन में मूल्य शिक्षण संस्थानों से प्राप्त होगा, उन्होंने बताया कि नैतिकता व्यवहार से परिलक्षित होनी चाहिए।
आज तकनीकी सत्र-3 के अध्यक्ष प्रो० मनोज कुमार कॉमर्स विभाग दिल्ली विश्वविद्यालय, सह-अध्यक्ष डॉ० जितेंद्र कुमार सहायक प्राध्यापक शारीरिक शिक्षा विभाग, सीआरएसयू रहे तथा रिपोर्टियर के रूप में डॉ० वीरेंद्र कुमार सहायक प्राध्यापक योग विज्ञान विभाग सीआरएसयू रहे। इस सत्र में मंच का संचालन सुश्री रेनू यादव शोधार्थी प्रबंधन विभाग द्वारा किया गया । इस सत्र में 70 प्रतिभागियों ने अपने शोध पत्रों का वाचन किया।
संगोष्ठी के सचिव डॉ० अनिल कुमार, सहायक लाइब्रेरियन ने कार्यक्रम के मुख्य अतिथि, अध्यक्षता कर रहे विश्वविद्यालय के कुलपति, कुलसचिव व मुख्य वक्ता तथा हरियाणा के विभिन्न जिलों तथा भारत के अन्य राज्यों से संगोष्ठी में शामिल हुए सभी प्रतिभागियों के प्रति आभार व्यक्त किया। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के विभिन्न शाखाओं के संकायाध्यक्ष, विभागों के विभागाध्यक्ष, प्राध्यापक, शोधार्थी, विद्यार्थी, पत्रकार, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया तथा गैर शैक्षणिक कर्मचारी आदि उपस्थित रहे।
मंच संचालन सुश्री पल्लवी सहायक प्राध्यापिका, अंग्रेजी विभाग, चौधरी रणबीर सिंह विश्वविद्यालय द्वारा किया गया।