कम्युनिकेशन स्किल्स फॉर पर्सनालिटी डेवलपमेंट प्रशिक्षण कार्यशाला ‘स्वास्थ्य, लक्ष्य एवं समय-प्रबंधन’ प्रशिक्षण कार्यशाला का दूसरा दिन
चौधरी रणबीर सिंह विश्वविद्यालय, जीन्द में अंग्रेजी एवं हिन्दी विभाग द्वारा आयोजित किए जा रहे कम्युनिकेशन स्किल्स फॉर पर्सनालिटी डेवलपमेंट ट्रेनिंग प्रोग्राम का आज दूसरा दिन है। इस प्रशिक्षण के दौरान आज ‘स्वास्थ्य, लक्ष्य एवं समय-प्रबंधन’ विषय के अन्तर्गत सभी छात्राओं को बताया गया है कि हमारा समय एक मूल्यवान संसाधन है और स्वास्थ्य की देखभाल के लिए इसे नियमित रूप से प्रबंधित करने की जरूरत है। समय प्रबंधन और स्वास्थ्य, दोनों ही हमारे जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। यदि हमारा स्वास्थ्य और समय-प्रबंधन सही है तो हमें लक्ष्य प्राप्ति से कोई नहीं रोक सकता।
इस कार्यशाला में सिखाया गया कि समय प्रबंधन कैसे हमारे स्वास्थ्य और लक्ष्य को प्रभावित करता है और कैसे हम समय प्रबंधन को स्वास्थ्य व लक्ष्य के लिए सही तरीके से उपयोग कर सकते हैं। नांदी फाउंडेशन से आई प्रशिक्षक दीपाली ने बताया कि हमें अपना पूरा दिन इस प्रकार प्रोग्राम करना है ताकि लक्ष्य प्राप्ति में हमें समय एवं स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतों का सामना ना करना पड़े। समय प्रबंधन में विशेषज्ञता प्राप्त करने के लिए कार्यशाला में बताया गया कि अपने समय के मूल्य को समझे; अपने लक्ष्य तय करें तथा अपने काम को प्राथमिकता दे। साथ ही साथ हमें अपने दिन की योजना इस प्रकार बनानी चाहिए जिसमें व्यायाम का समय एवं अच्छा आहार शामिल हो। नियमित व्यायाम स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद करता है और रोगों से बचाव करता है और अच्छा आहार हमारे स्वास्थ्य को बनाए रखने में मदद करता है।
चौधरी रणबीर सिंह विश्वविद्यालय, जीन्द के कुलपति डॉ॰ रणपाल सिंह ने इस अवसर पर बताया कि विद्यार्थियों को अपने सोशल मीडिया और स्क्रीन टाइम को सीमित रखना चाहिए। अत्यधिक सोशल मीडिया और स्क्रीन टाइम आपके स्वास्थ्य, लक्ष्य एवं समय-प्रबंधन पर बुरा प्रभाव डाल सकता है। तकनीक के साथ ज्यादा वक्त गुजारना आप में अकेलेपन की भावना पैदा कर सकता है। इसलिए हमें दुनिया को स्क्रीन से अलग करके देखना नहीं भूलना है। हम इंसान है, इंसान ही बने रहना है।
कुलसचिव प्रो॰ लवलीन मोहन ने बताया कि समय प्रबंधन के लिए विद्यार्थी स्वयं का मूल्यांकन करें। एक डायरी में रोज की बातें लिखें। इससे विद्यार्थी को पता चलेगा कि कितना समय वह उपयोगी कार्य को देते हैं और कितना समय अनुपयोगी और बेकार कामों को देते हैं। विद्यार्थियों के द्वारा खर्च किए जाने वाला अधिकतम समय अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने में लगाया जाना चाहिए।
अधिष्ठाता, मानविकी संकाय प्रो॰ संजय कुमार सिन्हा ने कहा कि जो लोग समय प्रबंधन के बिना कार्य करते हैं, उन्हें तनाव, नींद की समस्या, चिंता, अवसाद और अन्य मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याएँ होनी शुरू हो जाती हैं।
विभागाध्यक्ष डॉ॰ देवेन्द्र सिंह ने बताया कि यदि आपका समय-प्रबंधन सही है तो आप तनाव मुक्त है और यदि आपका समय-प्रबंधन सही नहीं है तो फिर यही समय का दुरुपयोग तनाव पैदा करता है। दिलचस्प बात यह है कि समय-प्रबंधन, स्वास्थ्य और लक्ष्य तीनों एक-दूसरे के पूरक हैं। एक-दूसरे के सहयोगी है इनमें से किसी को भी हम अनदेखा नहीं कर सकते।
कार्यशाला के अंत में प्रशिक्षक दिपाली एवं संदीप कुमार ने छात्राओं को माइंडफुलनेस और रिलैक्सेशन की तकनीकें सिखाई। इसमें बताया कि गहरी साँस लेना, एक मिनट के लिए ध्यान जैसे अभ्यास तनाव और चिंता को कम करने तथा कार्यस्थल पर फोकस एवं मानसिक शांति स्थापित करने में मदद करती है। इन छोटी-छोटी तकनीकों को सभी विद्यार्थियों को अपनी दिनचर्या में नियमित रूप से शामिल करने के लिए कहा है।