जनहित के कार्यों को कानूनी रूप से अमलीजामा पहनाने का कार्यचौधरी देवीलाल जी ने किया है :डॉ. अजय सिंह चौटाला
चौधरी रणबीर सिंह विश्वविद्यालय जींद में चौधरी देवीलाल की विरासत विषय पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन फैकल्टी ऑफ सोशल साइंस द्वारा किया गया।इस संगोष्ठी में मुख्य अतिथि के रूप में डॉ. अजय सिंह चौटाला पूर्व मेंबर ऑफ पार्लियामेंट ने शिरकत की। संगोष्ठी में मुख्य अतिथि एवं विशिष्ट अतिथियों का स्वागत करते हुए विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. रणपाल सिंह ने कहा कि स्वर्गीय चौधरी देवी लाल जी का लोक कल्याणकारी कार्यों में अतुलनीय योगदान रहा है। चौधरी देवी लाल जी की समाज कल्याण की भावना को हम उनकी पेंशन योजना से देख सकते है तत्कालीन समय में अनेक ऐसी चुनौतियां थी जिसके कारण पेंशन योजना लागू होना बड़ा ही कठिन था लेकिन चौधरी देवीलाल जी ने अपनी कलम से यह लोक कल्याणकारी कार्य किया था जो वर्तमान समय में पूरे भारतवर्ष में चौधरी देवी लाल जी को अमर बनाए हुए है जब भी पेंशन का जिक्र आता है तभी चौधरी देवीलाल जी का नाम जन-जन के मुख पर होता है। प्रत्येक गांव,नगर,मोहल्ले में सभी समुदाय वर्ग के लोगों के लिए चौपाल का निर्माण उनके जनहितकारी दृष्टिकोण को दर्शाता है। प्रशासन और व्यवस्था के संचालन में चौधरी देवी लाल जी के विचार वर्तमान समय में भी प्रासंगिक हैं। संगोष्ठी के संयोजक डॉ. सुनील फौगाट ने संगोष्ठी की प्रासंगिक पर विस्तारपूर्वक टिप्पणी की उन्होंने कहा कि चौधरी देवीलाल जी एक महान समाज सुधारक, कुशल राजनेता एवं प्रमुख समाजसेवी थे। स्वाधीनता आंदोलन और हरियाणा निर्माण में उनकी भूमिका सदैव स्मरणीय रहेगी। संगोष्ठी के मुख्य अतिथि पूर्व सांसद डॉ. अजय सिंह चौटाला ने अपने उद्धबोधन में कहा कि चौधरी देवीलाल जी अपने आप में एक संस्था थे जिनके बारे में जितना कहा जाए उतना कम है। वह हमेशा सिखाने के लिए उत्सुक रहते थे। समाज के प्रत्येक वर्ग,समुदाय के उत्थान के लिए चौधरी देवी लाल जी सदैव संघर्षशील रहते थे। जनहित के कार्यों को कानूनी रूप से अमलीजामा पहनाने का कार्य चौधरी देवीलाल जी ने किया है। चौधरी देवी लाल जी जो कहते थे उसको कानूनी तौर पर लागू भी करते थे। घुमंतू जाति के बच्चों की पढ़ाई के लिए एक रुपए की छात्रवृत्ति योजना, किसान ऋण माफ करना, बुढ़ापा पेंशन, विधवा पेंशन इत्यादि जनहितकारी कार्यों के लिए चौधरी देवी लाल जी सदैव अमर रहेंगे। अजय सिंह चौटाला ने कहा कि चौधरी देवीलाल जी को सच्ची श्रद्धांजलि हम तभी दे सकते हैं जब उनके दिखाए रास्ते पर चलेंगे तथा जन कल्याण के लिए बढ़-चढ़कर आगे आएंगे। संगोष्ठी में बीज वक्ता श्री सोमपाल शास्त्री पूर्व कृषि मंत्री भारत सरकार ने अपने उद्धबोधन में कहा कि चौधरी देवी लाल जी बहुत ही उदार व्यक्तित्व के धनी थे। सर्वसम्मति से चौधरी देवीलाल जी को प्रधानमंत्री पद के लिए चुना गया था तो उस समय चौधरी देवीलाल जी ने कहा था लोग मुझे ताऊ कहते हैं और मैं ताऊ के रूप में ही रहना चाहता और मैं यह पद वी.पी सिंह को सौंपता हूँ। चौधरी देवी लाल अप्रितम योद्धा,महान समाज सुधारक थे। मन,वाणी और कर्म से श्रेष्ठ थे। सरल एवं साधारण व्यक्तित्व के धनी थे चौधरी देवीलाल देवीलाल जी। किसान हितैषी इतने अधिक थे कि स्वयं खेती का अवलोकन करते थे और प्राकृतिक प्रकोप से फसल नष्ट हो जाने पर किसान को सांत्वना देकर नुकसान की भरपाई भी जल्द से जल्द करवाने के लिए आतुर रहते थे। अतिथि की पराकाष्ठा और कर्तव्य भावना उनमें बहुत अधिक थी। चौधरी देवीलाल जी की राजनीतिक यात्रा पर विस्तारपूर्वक प्रकाश डालते हुए श्री सोमपाल शास्त्री ने कहा कि चौधरी देवीलाल जी धन और पद की लालसा नहीं थी अपितु जनहित के लिए वे सदैव कर्मशील रहते थे। एमएसपी को संवैधानिक दर्जा दीवाने के लिए वे संघर्षरत थे। उद्घाटन सत्र में मुख्य वक्ता प्रोफेसर रणबीर ने अपने वक्तव्य में कहा कि किसान सम्मेलन और किसान आंदोलन में चौधरी देवीलाल की भूमिका अहम थी। इतनी कम उम्र में चौधरी देवीलाल राष्ट्रीय आंदोलन में शामिल हुए शायद ही कोई अन्य नेता इतनी कम उम्र में राष्ट्रीय आंदोलन में शामिल हुआ होगा। जनसामान्य के हित के लिए सदैव संघर्ष रहते थे चौधरी देवीलाल। मुख्य वक्ता चौधरी रणसिंह मान ने अपने वक्तव्य में कहा कि चौधरी देवीलाल जी दूरदर्शी सोच के धनी थे किसान मजदूर,निर्धन असहाय के सच्चे हितैषी थे स्वर्गीय चौधरी देवी लाल जी। गांव-गांव जाकर लोगों की समस्याओं को देखकर उनका निराकरण करते थे। जिनमें चौपालों का निर्माण तथा अन्य कई कल्याणकारी योजनाएं उनकी ही देन हैं।
कैप्टन अमनदीप सिहाग ने कहा कि चौधरी देवीलाल जी समाज कल्याण की दूरदर्शी सोच के स्वामी थे। उन्होंने किसानों,मजदूरों की दशा को प्रत्यक्ष रूप से देखा और उनके हक के लिए सदैव प्रयत्नशील रखें चौधरी देवीलाल जी की दूरदर्शी सोच एवं कल्पना को साकार रूप प्रदान करना वर्तमान समय की आवश्यकता है।
संगोष्ठी के प्रथम सत्र में धन्यवाद ज्ञापन विश्वविद्यालय की कुलसचिव प्रोफेसर लवलीन मोहन ने किया। संगोष्ठी के समापन समारोह में देवीलाल की विरासत विषय पर अनेक विद्वानों ने अपने विचार रखें और प्राध्यापक एवं लगभग 150 शोधार्थियों ने शोध पत्र भी प्रस्तुत किए। इस संगोष्ठी में चार तकनीकी सत्र रहे। संगोष्ठी के समापन सत्र में धन्यवाद ज्ञापन डिन एकेडमिक अफेयर्स प्रोफेसर एस.के सिन्हा ने किया।