पण्डित दीनदयाल उपाध्याय जी का 54 वॉ निर्वाण दिवस
आज दिनांक 11.02.2022 को पण्डित दीनदयाल उपाध्याय जी के 54 वें निर्वाण दिवस (25.09.1916 से 11.02.1968) पर राष्ट्रीय सेवा योजना और पण्डित दीनदयाल उपाध्याय केन्द्र द्वारा संयुक्त रूप से एक दिवसीय स्वास्थय जांच शिविर को आयोजन चौ0 रणबीर सिॅह विष्वविद्यालय जीन्द के परिसर में स्थित पण्डित दीनदयाल उपाध्याय स्वास्थय केन्द्र में किया गया। कार्यक्रम का शुभारम्भ सरस्वती वन्दना करते हुए मां सस्वती की प्रतिमा के समक्ष दीप जलाकर एवं पुषांजली देकर प्रोफेसर लवलीन मोहन (कुलसचिव, चौ0 रणबीर सिॅह विष्वविद्यालय जीन्द) ने किया।
कार्यक्रम में के प्रारम्भ में प0 दीनदयाल उपाध्याय के जीवन पर प्रकाष डालते हुए प्रोफेसर लवलीन मोहन, कुलसचिव ने बताया कि पण्डित जी की सोच में गांधीवाद समाजवाद रहा था और उनका पुरा जीवन सर्वोदय(सभी की प्रगति) एवं स्वदेषी पर केन्द्रित रहा था। उच्च कोटि के नेता होने के बावजूद उनका स्वभाव बिल्कुल सरल रहा। वे महान चिन्तक, विचारक एवं लेखक थे।
प्रोफसेर एस0 के0 सिन्हा, डीन एकेडिमिक एफैयरस एवं निदेषक पण्डित दीनदयाल उपाध्याय केन्द्र ने बताया कि पण्डित जी का पूरा जीवन राष्ट्रवाद पर रहा। पण्डित जी की समाजवाद एवं राष्ट्रवाद को ध्यान में रखते हुए भारत सरकार ने भी लोकहित समय-समय पर काफी योजनाऐं चलाई है जैसे दीनदयाल उपाध्याय ग्रामीण कौषल योजना, दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना, दीनदयाल उपाध्याय अन्तोदय उपचार योजना आदि। उन्होने बताया कि देष के गरीब से गरीब व्यक्ति के जीवन स्तर को उपर उठाकर एक साथ देषहित में काम करना ही समाजवाद है।
कार्यक्रम को जारी रखते हुए डा0 जितेन्द्र कुमार, कार्यक्रम समन्वयक-राष्ट्रीय सेवा योजना, ने पण्डित जी के बारे में बताया कि पण्डित जी के विचारों में अन्तोदय पर एक विषेष विचार रहा जिसके अनुसार समाज के सबसे गरीब से भी गरीब तबके के लोगो की उन्नति/प्रगति को ही देषधर्म की बात कही। उनके अनुसार अन्तोदय ही राष्ट्र की उन्नति का एक मात्र मार्ग है। पण्डित जी ने कहा था कि देष के लिए मरने वाले लोग श्रेष्ठ है पर उनसे भी श्रेष्ठ है समाज के लिए जीने वाले लोग।
स्वास्थय जाॅच कैम्प में विषेष अतिथि गंगापुत्र आयुर्वेदिक महाविद्यालय एवं अस्पताल, कैथल रोड, कण्डैला (जीन्द) के चेयरपरसन डा0 राजेन्द्र गुप्ता एवं उनकी टीम रही। डा0 राजेन्द्र गुप्ता ने ऐसे स्वास्थय जाॅच षिविर की सरहाना करते हुए बताया कि विष्वविद्यालय में ऐसे जाॅच षिविर का होते रहना बहुत आवष्यक है और वे भविष्य में भी ऐसे जाॅच षिविर में पुरा सहयोग करते रहेंगें। उनकी टीम में मुख्य रूप से डा0 पुजा आर्या(स्लय चिकित्सक), डा0 लोकेष राजपुत(काया चिकित्सक), डा0 कविता सैनी( काया चिकित्सक), डा0 सीमा नैन(ऑंख, कान एवं नाक चिकित्सक) एवं डा0 कमल, डा0 विषाल, डा0 पूजा, डा0 अकांकक्षा, डा0 फलक सहायक चिकित्सक के रूप पुरे दिन विष्वविद्यालय में कर्मचारियों एवं विद्याथिर्यो की जाॅच की। स्वास्थय जाॅच षिविर में पुर्वाहन 02-30 बजे तक 135 से ज्यादा लोगों की मुफत जाॅच की गई।
पण्डित दीनदयाल उपाध्याय जी के 54 वें निर्वाण दिवस पर विष्वविद्यालय द्वारा पूर्वाहन एक वैबिनार का आयोजन भी किया गया जिसमें मुख्यातिथि प्रोफेसर सोमनाथ सचदेवा, कुलगुरू रहें एवं प्रोफेसर एस0के सिन्हा, डीन एकेडिमिक एफैयरस एवं निदेषक पण्डित दीनदयाल उपाध्याय केन्द्र मुख्य वक्ता रहे। वैबिनार में पण्डित दीनदयाल उपाध्याय के विचारों में एक विचारगोष्ठी की गई। इस विचारगोष्ठी में कुल 235 प्रतिभागी रहे।
कार्यक्रम के दौरान मुख्यरूप से निम्नलिखित उपस्थित रहेंः-
डा0 राजेष बंसल, डा0 कुलदीप नारा, डा0 विशाल वर्मा, डा0 गुरप्रीत सिॅह भामरा, डा0 विजय, डा0 प्रवीण गहलावत, डा0 नवीन कुमार, डा0 सन्दीप कुमार, कुमारी सुमन देवी, श्री अुनप, श्री समरजीत, श्री देवेन्द्र कुमार, श्री सन्दीप कुमार, श्री सन्दीप, श्री गौरव कौषिक, श्री प्रवीण आदि गणमान्य एवं सभी विभागों के विद्यार्थी उपस्थित रहे।