राष्ट्रीय सेवा योजना द्वारा स्वतंत्रता दिवस के उपलक्ष में काव्य गोष्ठी कार्यक्रम का आयोजन
चौधरी रणबीर सिंह विश्वविद्यालय जींद में राष्ट्रीय सेवा योजना द्वारा स्वतंत्रता दिवस के उपलक्ष में काव्य गोष्ठी कार्यक्रम का आयोजन किया गया यह आयोजन स्वामी विवेकानंद शैक्षणिक खंड-1 के सभागार में आयोजित किया गया।
मुख्य अतिथि के रूप में विश्वविद्यालय कुलपति डॉ. रणपाल सिंह उपस्थित रहे व कार्यक्रम अध्यक्ष विश्वविद्यालय कुलसचिव प्रो. लवलीन मोहन द्वारा की गई। इस कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में प्रो. वीरेंद्र सिंह चौहान साहित्यकार, कवि, लेखक व ग्रंथ अकादमी के पूर्व सदस्य ने शिरकत की| विशिष्ट अतिथि श्री धूमन सिंह किरमिच वाइस चेयरपर्सन हरियाणा सरस्वती हेरिटेज बोर्ड रहे| इस कार्यक्रम में मुख्य कवि के रूप में श्रीमती शकुंतला काजल जिला अध्यक्ष राष्ट्रीय कवि संगम व श्री ओम प्रकाश चौहान वरिष्ठ साहित्यकार पहुंचे। कार्यक्रम के सभी चीर परिचित महानुभाव का विश्वविद्यालय सभागार में आने पर पुष्प गुच दे कर सम्मानित किया गया|
इस अवसर पर डीन एकेडमिक अफेयर प्रो. एसके सिन्हा ने सभी मुख्य वक्ता और कवियों का विश्वविद्यालय सभागार में पहुंचने पर आर्थिक स्वागत व अभिनंदन किया और सभी को स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएं दी। कार्यक्रम समन्वयक डॉ जितेंद्र कुमार ने सभी मुख्य अतिथि व कवियों का संक्षिप्त परिचय दिया और उनकी जीवनी से अवगत करवाया।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि विश्वविद्यालय कुलपति ने सभी मुख्य वक्ता व कवियों को विश्वविद्यालय में अपनी उपस्थिती दर्ज करवाने के लिए विश्वविद्यालय परिवार की तरफ धन्यवाद व्यक्त किया और कहा कि आज हम भारतीय संस्कृति को याद करने के लिए एकत्रित हुए है| उन्होंने कहा कि आज के समय में हम अपनी भारतीय संस्कृति और भारतीय मूल्य को भूलते जा रहे हैं जिसमें तेजी से गिरावट आई है और इसके लिए हम सब जिम्मेदार हैं हमें अपनी भारतीय संस्कृति को बचना चाहिए और इसे बचाने के लिए अहम योगदान देना चाहिए।
मुख्य वक्ता प्रो. वीरेंद्र चौहान ने बताया कि आजादी की लड़ाई को लड़ने के लिए पिछले कई सालों से हमारे पूर्वजों ने संघर्ष की लड़ाई लड़ी है और कोई भी दिन ऐसा नहीं है कि जिस दिन उन्होंने भारत को आजाद करवाने के लिए संघर्ष ना किया हो। हम अपने पूर्वजों के त्याग बलिदान व संघर्ष को ही लड़ाई को कभी नहीं भूल सकते और आज का दिन हम अपने उन परिजनों को याद करना चाहिए जिन्होंने 14 अगस्त 1947 के दिन पाकिस्तान से विभाजित होते हुए अपनी जान गवा दी और यह इतिहास का सबसे बड़ा दुखदाई विभाजन है जिसमें करीब दस लाख लोगों ने अपने प्राण त्याग दिए। उन्होंने बताया कि पहले हमारे भारतवर्ष की मुख्य गंगा जमुना व सरस्वती तीन नदियां होती थी पर आज के युग में सरस्वती नदी विलुप्त होती जा रही है और हमें इसे बचाने के लिए अपना योगदान देना चाहिए और सरस्वती नदी के इतिहास के बारे में जानना चाहिए।
इस कार्यक्रम में उपस्थित सभी कवियों ने अपनी कविताओं से सभी को लाभान्वित किया और सभागार में उपस्थित सभी लोगो ने उनका आनंद उठाया| इस मौके विश्वविद्यालय के विभिन्न विभाग के विद्यार्थी जिनमे समीर एमएससी रसायनशास्त्र (केमिस्ट्री), ललिता एमकॉम, ममता एमकॉम, सौरभ जनसंचार विभाग व आशीष संगीत विभाग आदि ने अपनी देशभक्ति कविताओं से सबका मन जीता और बाहर से आये सभी कवियों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया| इस अवसर पर प्रसिद्ध कवि अशोक चौहान, नरेंद्र अत्री शैलेंद्र मंजू मानव आजाद जुलानी, यसकीर्ति, शकुंतला काजल आदि कवियों ने अपनी प्रस्तुतियों से देश भक्ति का भाव जगाया।
इस अवसर पर डॉ. कुलदीप नारा, डॉ. सुनील फोगाट, डॉ. नवीन, डॉ. जगपाल मान, डॉ अरुण कुमार, अमित लाठर, नवीन मलिक, गौरव कौशिक व राष्ट्रीय सेवा योजना के स्वयंसेवक आदि मौजूद रहे|
कार्यक्रम के समन्वयक डॉ जितेंद्र कुमार रहे। मंच संचालन डॉ सुमन पुनिया द्वारा किया गया |