वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) पर पुस्तक का विमोचन
चौधरी रणबीर सिंह विश्वविद्यालय, जींद‘वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी)’ पर पुस्तक का विमोचन
कुलपति कार्यालय में ‘वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी)’ पर पुस्तक का विमोचन किया। पुस्तक सीए (डॉ.) संदीप पूर्वा, सहायक प्रोफेसर, वाणिज्य विभाग, चौधरी रणबीर सिंह विश्वविद्यालय, जींद द्वारा लिखी गई है। यह पुस्तक भारत के मुख्य प्रकाशकों में से एक अकादमिक प्रकाशन द्वारा प्रकाशित की गई है।
यह अप्रत्यक्ष कराधान और प्रत्यक्ष कराधान के क्षेत्र में अत्यधिक लाभप्रद हैं। इस पुस्तक का उद्देश्य उन सभी महत्वपूर्ण मुद्दों और उनके संभावित समाधानों से निपटना है जिनका सामना कानून से जुड़े एक आम व्यक्ति को करना पड़ता है। पुस्तक को यथासंभव गैर-तकनीकी भाषा में लिखा गया है ताकि एक सामान्य व्यक्ति भी अपनी समस्याओं का समाधान समझ सके। उम्मीद है कि यह पुस्तक आम जनता, छात्रों, पेशेवरों और यहां तक कि विभागीय अधिकारियों को जीएसटी शासन के दौरान आने वाली समस्याओं का समाधान प्रदान करने में काफी सहायक सिद्ध होगी। इस पुस्तक को पढ़ने से जहां तक प्रतिस्पर्धी युग की आवश्यकता का सवाल है, जीएसटी कानून की समस्याओं और संभावित समाधानों पर एक विहंगम दृष्टि मिलेगी। कुलपति, डॉ॰ रणपाल सिंह ने जीएसटी के क्षेत्र में इस उल्लेखनीय उत्कृष्टता के लिए डॉ. संदीप पूर्वा को बधाई दी।
कुलसचिव, प्रो॰ लवलीन मोहन ने बताया कि जीएसटी भारत के विनिर्माण क्षेत्र में प्रतिस्पर्धात्मकता और प्रदर्शन को बढ़ावा देता है। घटते निर्यात और उच्च बुनियादी ढाँचे पर खर्च इस क्षेत्र की कुछ चिंताएँ हैं। कई अप्रत्यक्ष करों ने निर्माताओं और वितरकों के लिए प्रशासनिक लागत में भी वृद्धि की है और जीएसटी लागू होने से, अनुपालन बोझ कम हो गया है और यह क्षेत्र और अधिक मजबूती से विकसित होगा। जीएसटी की बारीकियों को समझने के लिए इस प्रकार की पुस्तकें हमारे लिए बहुत सहायक होंगी।
अधिष्ठाता, एस॰ के॰ सिन्हा के बताया कि भारत में ई-कॉमर्स क्षेत्र तेजी से बढ़ रहा है। कई मायनों में, जीएसटी ई-कॉम क्षेत्र की निरंतर वृद्धि में मदद करेगा लेकिन दीर्घकालिक प्रभाव विशेष रूप से दिलचस्प होंगे क्योंकि जीएसटी कानून विशेष रूप से स्रोत पर कर संग्रह (टीसीएस) तंत्र का प्रस्ताव करता है, जिससे ई-कॉम कंपनियां बहुत खुश नहीं हैं। अभी इनका विश्लेषण जीएसटी के विश्लेषक ही इस बारे में ठीक ढंग से बता सकते हैं।
जनसम्पर्क एवं सूचना अधिकारी, डॉ॰ देवेन्द्र सिंह ने बताया कि भारत जैसे विशाल देश में लॉजिस्टिक्स क्षेत्र अर्थव्यवस्था की रीढ़ है। हम निष्पक्ष रूप से यह मान सकते हैं कि एक सुव्यवस्थित और परिपक्व लॉजिस्टिक्स उद्योग में भारत सरकार की ‘मेक इन इंडिया’ पहल को वांछित स्थिति तक पहुंचाने की क्षमता है। जीएसटी एवं इसके विश्लेषक इसमें अहम रोल निभाएंगे।