‘विश्व हिंदी दिवस’ के उपलक्ष्य में ऑनलाइन माध्यम से ‘वैश्विक स्तर पर हिंदी भाषा’ विषय पर विस्तार व्याख्यान का आयोजन
हिंदी एक विश्वभाषा है,हिंदी एक देश की राष्ट्रभाषा होने के साथ-साथ अन्य देशों में भी पर्याप्त संख्या में लोगों द्वारा बोली और समझी जाती है:कुलपति डॉ. रणपाल सिंह
चौधरी रणबीर सिंह विश्वविद्यालय, जींद के हिंदी-विभाग द्वारा 'विश्व हिंदी दिवस' के उपलक्ष्य में ऑनलाइन माध्यम से 'वैश्विक स्तर पर हिंदी भाषा' विषय पर विस्तार व्याख्यान का आयोजन किया गया। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के माननीय कुलपति डॉ. रणपाल सिंह ने विद्यार्थियों को विश्व हिंदी दिवस की बधाई दी और कहा कि हिंदी एक विश्वभाषा है,हिंदी एक देश की राष्ट्रभाषा होने के साथ-साथ अन्य देशों में भी पर्याप्त संख्या में लोगों द्वारा बोली और समझी जाती है।आज पूरे विश्व में हिंदी भाषा का प्रचार और प्रसार हो रहा है विश्व का ऐसा कोई कोना नहीं है जहाँ हिन्दी भाषा और हिंदी भाषा बोलने वाले लोग मौजूद ना हों। उन्होंने कहा कि हिंदी भाषा के प्रचार-प्रसार के लिए प्रतिवर्ष विश्व हिंदी सम्मेलन का आयोजन विश्व के विभिन्न देशों में किया जाता है अब तक वैश्विक स्तर पर 11 विश्व हिंदी सम्मेलन हो चुके हैं जिनका उद्देश्य पूरे विश्व में हिंदी भाषा का प्रचार-प्रसार कर उसे गौरवपूर्ण स्थान दिलवाना है। विश्वविद्यालय कुलसचिव माननीया प्रोफेसर लवलीन मोहन ने विद्यार्थियों को विश्व हिंदी दिवस की बधाई दी और कहा कि हिंदी भाषा जन-जन की भाषा है वैश्विक स्तर पर हिंदी भाषा का दायरा दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है विदेशों में बसे भारतीय हिंदी भाषा के प्रचार प्रसार में अपना अहम योगदान निभा रहे हैं। हिंदी भाषा में रचित साहित्य का अनुवाद यह दर्शाता है कि विदेशों में हिंदी भाषा का प्रचार प्रसार निरंतर बढ़ रहा है। इस व्याख्यान में मुख्य वक्ता डॉ. विनोद बिश्नोई सहायक प्रोफेसर डी.ए.वी. कॉलेज,जालंधर रहे। अपने व्याख्यान में डॉ. विनोद बिश्नोई ने 'वैश्विक स्तर पर हिंदी भाषा' विषय पर विस्तृत व्याख्यान देते हुए कहा कि विश्व में हिंदी भाषा तीसरे नंबर पर सर्वाधिक बोले जाने वाली भाषा है और दिन प्रतिदिन हिंदी भाषा बोलने वालों की संख्या बढ़ती जा रही है।डॉ. विनोद विश्नोई ने बताया कि विश्व हिंदी दिवस 2023 का थीम 'हिंदी को जनमत की भाषा बनाना, बगैर उनकी मातृभाषा की महत्ता को भूले'। डॉ. विनोद बिश्नोई ने कहा की हिंदी भाषा एक ऐसी भाषा है जिसमें जैसा लिखा जाता है वैसा ही पढ़ा जाता है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति हिंदी भाषा के प्रचार प्रसार में मील का पत्थर साबित होगी। इस शिक्षा नीति के माध्यम से सभी विषयों में अंग्रेजी के साथ-साथ हिंदी में भी पाठ्यक्रम उपलब्ध होगा, निश्चित तौर पर इस शिक्षा नीति से हिंदी भाषा का प्रचार-प्रसार भी बढ़ेगा। हिंदी में रचित साहित्य विदेशों में भी अपनी प्रासंगिकता बखूबी निभा रहा है विदेशों में भी संत कबीर दास जी को पढ़ा जा रहा है गुरु नानक देव जी को पढ़ा जा रहा है और अनेक ऐसे संत कवि हुए हैं तथा हिंदी साहित्य के साहित्यकार हुए हैं जिनके साहित्य का अनुवाद आज पर्याप्त मात्रा में किया जा रहा है यह हिंदी भाषा की बढ़ती लोकप्रियता को दर्शाता है। डॉ. विनोद बिश्नोई ने कहा कि विज्ञापन,सिनेमा राजनीतिक रैलियां, मेले,उत्सव,पर्व सभी में मुख्य रूप से हिंदी भाषा का ही प्रयोग किया जाता है और यह हिंदी भाषा की बढ़ती लोकप्रियता को दर्शाता है।अधिष्ठाता भाषा संकाय एवं हिंदी-विभागाध्यक्ष प्रोफेसर एस.के. सिन्हा ने डॉ. विनोद बिश्नोई जी का विस्तृत व्याख्यान में स्वागत करते हुए विद्यार्थियों को विश्व हिंदी दिवस की बधाई दी और कहा कि हिंदी भाषा वैश्विक स्तर पर दिन-प्रतिदिन नए आयाम छू रही है हिंदी भाषा बोलने वालों की संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है और हिंदी एक ऐसी मृदुल भाषा है जिसमें रचित साहित्य विदेशों में अपनी लोकप्रियता बनाए हुए हैं वर्तमान समय में चाहे हम विज्ञापन की बात करें,चाहे अनुवाद की बात करें सभी जगह पर हिंदी भाषा का दायरा दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। कार्यक्रम के संयोजक डॉ. सुनील काजल ने राष्ट्रभाषा हिंदी के महत्व और संभावनाओं पर प्रकाश डालते हुए कहा कि 14 सितंबर,1949 को हिंदी को राजभाषा के रूप में मान्यता दी गई थी तब से लेकर आज तक हमारी हिंदी भाषा निरंतर गतिमान रही है और उसने साहित्य,फिल्म,गीतों आदि के माध्यम से हिंदी भाषा को विश्व के कोने-कोने में लोकप्रिय बना दिया है। आज पूरे विश्व में हिंदी फिल्में, गाने और साहित्य को पूरे सम्मान के साथ देखा,पढ़ा और सुना जाता है उन्होंने कहा कि औपनिवेशिक दौर में जो भारतीय यहाँ से फीजी,सूरीनाम,मालदीव,मॉरीशस, त्रिनिदाद एवं टोबैगो तथा अन्य देशों में गए थे उन्होंने वहाँ पहुँच कर भी अपनी भाषा और संस्कृति को जिंदा रखा है और पीढ़ी दर पीढ़ी वहां के लोग आज भी हिंदी भाषा को बोलते हैं पढ़ते हैं और लिखते हैं यही हमारी हिंदी की जीवंतता का सबल प्रमाण है।इस ऑनलाइन कार्यक्रम में हिंदी विभाग की सह-संयोजक सहायक प्रोफेसर पल्लवी ने धन्यवाद ज्ञापन किया। इस कार्यक्रम में हिंदी विभाग के सहायक प्रोफेसर श्री सुनील कुमार,डॉ. सुमन चहल और लगभग सभी विद्यार्थी ऑनलाइन माध्यम से जुड़े रहे।