आत्मनिर्भर जम्मू कश्मीर के विकास के लिए सरकार औद्योगिक विकास को बढ़ावा दे रही है-प्रो. टंकेश्वर कुलपति
लद्दाख और जम्मू-कश्मीर की सामाजिक-आर्थिक स्थिति को लेकर एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन फैकल्टी ऑफ सोशल साइंस, चौधरी रणबीर सिंह विश्वविद्यालय,जींद तथा लद्दाख एवं जम्मू कश्मीर अध्ययन केंद्र,हरियाणा द्वारा किया गया। माननीय कुलपति डॉ. रणपाल सिंह ने कहा कि जम्मू कश्मीर की सामाजिक आर्थिक स्थिति को लेकर यह संगोष्ठी अपने आप में मील का पत्थर साबित होगी । इस संगोष्ठी के माध्यम से अनेक विद्यार्थी, शोधार्थी जम्मू कश्मीर की सामाजिक आर्थिक स्थिति से अवगत होंगे तथा आने वाले शोधकर्ताओं के लिए यह नवीन जानकारी उपलब्ध करवाने में अहम भूमिका अदा करेगी । कुलपति महोदय ने कहा कि विद्यार्थी इस संगोष्ठी में मुख्य वक्ता,मुख्य अतिथि एवं बुद्धिजीवियों के विचार सुनें और उनको आत्मसात भी करें, क्योंकि जम्मू एवं कश्मीर की सामाजिक एवं आर्थिक स्थिति को लेकर अनेक पहलुओं पर जो बातें होंगी वह आज का ज्वलंत मुद्दा भी है जिसके कारण कई युद्ध भी हुए हैं और हम दिन-प्रतिदिन अखबारों में या सोशल मीडिया के माध्यम से इस तरह की जानकारियां प्राप्त करते हैं और आज हम उन सब के बारे में प्रमाणित रूप से जानकारी प्राप्त करेंगे।
संगोष्ठी संयोजक डॉ. सुनील फोगाट ने कार्यक्रम की विषयवस्तु के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि लद्दाख, जम्मू और कश्मीर भारत में समाचारों में हमेशा एक ज्वलंत मुद्दा बना रहा है। वैसे देखा जाये तो लद्दाख, जम्मू और कश्मीर लगभग हर पहलू से पीड़ित रहा है, चाहे वह सामाजिक-आर्थिक विकास हो या शिक्षा, स्वास्थ्य या कोई अन्य पहलू। सामाजिक-आर्थिक पहलुओं के अलावा, सबसे महत्वपूर्ण प्रभाव सामरिक और सुरक्षा पहलू भी है। पिछले कुछ दशकों में कारगिल और लेह ने असाधारण सामरिक महत्व को दिखाया है। कारगिल और लेह में पाकिस्तान और चीन दोनों के साथ भारत की साझा और विवादित सीमा है। दोनों ही देश अपनी नीतियों में भारत के प्रति शत्रुतापूर्ण रहे हैं। हमारे पास दोनों देशों के कटु अनुभव है। ये दोनों पड़ोसी एक-दूसरे के करीबी सहयोगी हैं, यह हमारी सुरक्षा दुविधा को ओर बढ़ाते हैं।
इसलिए बदले हुए परिदृश्य में लद्दाख, जम्मू और कश्मीर का सामरिक और सुरक्षा के लिहाज से काफी महत्व है। किसी भी क्षेत्र का सामाजिक-आर्थिक विकास की सम्पनता को दिखाता है।लद्दाख, जम्मू और कश्मीर की सामाजिक-आर्थिक स्थिति को समझने और उससे अवगत कराने के उद्देश्य से ही आज की इस एक दिवसीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया है।
डॉ. जसबीर दलाल ने जम्मू कश्मीर अध्ययन केंद्र की स्थापना और लद्दाख एवं जम्मू कश्मीर अध्ययन केंद्र के बारे में विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने कहा कि लद्दाख एवं जम्मू कश्मीर अध्ययन केंद्र पुख्ता जानकारी उपलब्ध करवाने में अहम योगदान देता है। जम्मू कश्मीर की सामाजिक,आर्थिक,धार्मिक एवं प्रत्येक दृष्टि से हर पहलू पर यह केंद्र अविस्मरणीय योगदान दे रहा है।
संगोष्ठी में बीज वक्ता डॉ. दीप नारायण पाण्डेय, विशेष आपदा अनुसंधान केंद्र,जे.एन.यू.,नई दिल्ली रहे।डॉ. दीप नारायण पाण्डेय ने कहा कि जम्मू और कश्मीर भारत का महत्वपूर्ण अंग रहा है केवल 1947 से नहीं, भारत की सनातन परंपरा से यह अंग रहा है। कश्यप के नाम से कश्मीर का नाम पड़ा है। कश्यप ऋषि की प्रासंगिकता कश्मीर से जुड़ी हुई है, कश्मीर भारत की आत्मा में रचा बसा रहा है। भौगोलिक रूप से जम्मू का अपना अलग भौगोलिक क्षेत्र है कश्मीर का अलग। वर्तमान समय में विद्यार्थियों को देश के भूगोल को जानने की अत्यंत आवश्यकता है। धारा 370 हटाने के बाद जम्मू कश्मीर को पूरे देश में भी मिलने वाली केंद्र की सुविधाओं का लाभ मिलना प्राप्त हो गया। इनमें मनरेगा,आयुष्मान भारत, मिड-डे मील जैसी 89 योजनाएं सम्मिलित हैं। इसके बाद साढ़े पाँच लाख लोगों को रोजगार मिला,आंतक पर अंकुश लग गया है,समान नियम लागू हुए हैं और सड़कों का विस्तार जम्मू कश्मीर को विकसित करने में अहम भूमिका अदा कर रहा है। मुख्य वक्ता ने कहा कि लद्दाख भारत का वाटर टावर है तथा बौद्ध संस्कृति का संरक्षण केंद्र भी है।
मुख्य अतिथि डॉ. शिव पूजन सहाय,एसोसिएट प्रोफेसर,डॉ. अम्बेडकर अंतर्राष्ट्रीय केंद्र,सामाजिक न्याय एवं सशक्तिकरण मंत्रालय ने अध्यक्षीय उद्धबोधन में कहा कि विभाजन के बाद जम्मू एवं कश्मीर का 46 प्रतिशत हिस्सा हमारे पास है और 54 प्रतिशत हिस्सा हमारे से चला गया है। वर्तमान समय में प्रत्येक दिन अनेक घटनाएं देश की सीमा पर घटित होती हैं। हमारे देश का सैनिक,जवान देश की सीमा पर खड़ा होकर हमारी सुरक्षा कर रहा है। जम्मू कश्मीर आर्थिक दृष्टि से भी संपन्न है। पर्यटन की दृष्टि से जम्मू कश्मीर का अपना अलग महत्व है वर्तमान समय में आवश्यकता है एकीकरण की । वर्तमान समय में जम्मू-कश्मीर की आर्थिक एवं सामाजिक स्थिति को लेकर आज हमें जागरूक होने की आवश्यकता है। विश्वविद्यालय कुलसचिव प्रो. लवलीन मोहन ने धन्यवाद ज्ञापन करते हुए कहा कि आज की इस संगोष्ठी में विद्यार्थियों ने मुख्य अतिथि एवं मुख्य वक्ता से नवीन ज्ञान अर्जित किया है। वर्तमान समय में आवश्यकता है विद्यार्थियों की जिज्ञासु प्रवृत्ति की।कुलसचिव लवलीन मोहन ने कहा कि भारत सरकार ने धारा 370 के बाद जम्मू एवं कश्मीर में शिक्षा,स्वास्थ्य,पर्यटन इत्यादि प्रत्येक दृष्टि से इसे समृद्ध बनाने में अपना अहम योगदान दिया है।
संगोष्ठी के द्वितीय सत्र में मुख्य अतिथि प्रोफेसर टंकेश्वर कुमार, कुलपति,केंद्रीय विश्वविद्यालय हरियाणा रहे।कुलपति प्रोफेसर रणपाल सिंह ने प्रोफेसर टंकेश्वर जी कुलपति,केंद्रीय विश्वविद्यालय हरियाणा का स्वागत किया।कुलपति प्रोफेसर टंकेश्वर ने कहा कि अनुच्छेद 370 हटने के बाद अलगाववादियों का जनाधार खत्म होता जा रहा है।आत्मनिर्भर जम्मू कश्मीर के विकास के लिए सरकार औद्योगिक विकास को बढ़ावा दे रही है।पर्यटन स्थलों का बढ़ता दायरा जम्मू कश्मीर के विकास में अहम भूमिका अदा करेगा।लद्दाख और जम्मू तथा कश्मीर के लोग आत्मनिर्भर हैं। शिक्षा के क्षेत्र में नए शिक्षण संस्थानों का निर्माण लद्दाख एवं जम्मू-कश्मीर को एक नई दशा और दिशा देगा। संगोष्ठी के द्वितीय सत्र में संगोष्ठी के द्वितीय सत्र में धन्यवाद ज्ञापन करते डीन एकेडेमिक अफेयर,प्रोफेसर एस. के.सिन्हा ने कहा कि यह हमारे लिए बहुत ही खुशी की बात है कि आज हमने लद्दाख एवं जम्मू कश्मीर की सामाजिक आर्थिक स्थिति पर विस्तार पूर्वक जानकारी प्राप्त की नवीन तथ्यों से हमें आज अवगत होने का शुभ अवसर प्राप्त हुआ तथा विद्यार्थियों एवं शोधार्थियों के लिए यह संगोष्ठी अत्यंत लाभदायक रही।