कारगिल विजय दिवस भारतीय सेना की महान वीरगाथा: कुलपति डॉ० रणपाल सिंह
चौधरी रणबीर सिंह विश्वविद्यालय में कारगिल विजय दिवस के उपलक्ष में सामाजिक विज्ञान संकाय द्वारा एक कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम के संयोजक डॉ. सुनील फोगाट ने बताया है कि यह कार्यक्रम विद्यार्थियों के लिए कारगिल विजय दिवस को समर्पित होने के साथ-साथ, वीरता और साहस के सशक्तिकरण को प्रोत्साहित करने के लिए एक महत्वपूर्ण और गरिमापूर्ण अवसर है।
इस अवसर पर मुख्य वक्ता के रूप में मेजर जनरल नीरज बाली (सेवानिवृत्त सेना मेडल) और विशिष्ट अतिथि के रूप में कारगिल विजय के हीरो कर्नल अनुराग मेहरा, कैप्टन सत्येंद्र सांगवान और कर्नल आर.के. गोयत (प्रशासनिक अधिकारी, एनसीसी बटालियन जींद) और अन्य गणमान्य अतिथियों के रूप में शहीद कैप्टन पवन खटकड़ के पिताजी श्री राजबीर खटकड़, शहीद कैप्टन आशीष कुमार की पत्नी विमला जी आदि ने शिरकत की।
विश्वविद्यालय पहुँचने पर माननीय कुलपति डॉ० रणपाल सिंह द्वारा सभी गणमान्य अतिथियों को पुष्पगुच्छ देकर हार्दिक स्वागत व अभिनंदन किया गया। इस अवसर पर विश्वविद्यालय में मुख्य गतिविधियों में वृक्षारोपण, विश्वविद्यालय में स्थापित शहीद कैप्टन पवन कुमार की प्रतिमा पर भी माल्यार्पण और पुष्पांजलि की गई और नतमस्तक हो उनकी कुर्बानी को स्मरण किया गया।
विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ० रणपाल सिंह ने अपने स्वागत वक्तव्य में सभी को संबोधित करते हुए कहा कि कारगिल विजय दिवस का उत्सव भारतीय सेना की वीरता और साहस को याद करने का एक महत्वपूर्ण अवसर है। 26 जुलाई को भारतीय सेना ने कारगिल युद्ध में विजय प्राप्त की थी। यह युद्ध हम सभी के लिए एक भावनात्मक क्षण था। दुर्गम परिस्थितियों का सामना करते हुए तिरंगे की शान के लिए वीर सैनिकों ने इस युद्ध में अपनी जान की बाजी लगा दी थी। हमें अपने वीर शहीदों की शहादत को कभी नहीं भूलना चाहिए बल्कि उनकी शहादत की दास्तान अपने युवाओं को और आने वाली पीढ़ी को बतानी चाहिए, जिससे उनके मन में भी देश के प्रति अपने कर्तव्यों की जानकारी हो। देश का नागरिक होने के नाते देश की रक्षा करने वाले वीर सपूतों के प्रति हमारे दिल में विशेष सम्मान होना चाहिए क्योंकि, विपरीत परिस्थितियों में भी हमेशा अपने देश के बारे में ही वीर जवान सोचते हैं। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के युवाओं को इन वीरों से सीख लेनी चाहिए और हमेशा देश की तरक्की और उन्नति में योगदान देना चाहिए।
इस अवसर पर मुख्य वक्ता के रूप में मेजर जनरल नीरज बाली (सेवानिवृत्त सेना मेडल) ने विभिन्न कथा और उदाहरणों की सहायता से युवाओं को बताया कि समस्याओं का समाधान सिर्फ आशा रखने से नहीं, बल्कि दृढ़ संकल्प के साथ परिश्रम करके ही संभव होता है। उन्होंने कहा नेतृत्वकर्ता के गुणों से दूसरे भी प्रेरणा प्राप्त कर सकते हैं और संस्कृति को बेहतर बनाने के लिए संस्कार और पीढ़ी का महत्व होता है। सभ्यता ताकत की प्रतीक होती है और व्यक्ति सोच बदलकर दूसरों से अलग हो सकता है। उन्होंने कहा कि जीवन में हर व्यक्ति एक लड़ाई लड़ रहा है और उन्हें एक फौजी की तरह दृढ़ संकल्पी बनना चाहिए। वे युवाओं को समझा रहे हैं कि वे अपने परिश्रम से अपनी चिंताओं पर विजय प्राप्त कर सकते हैं और अपने जीवन को एक अच्छे निर्माता और नियंत्रणकर्ता के रूप में जीना चाहिए। युवाओं को प्रेरित करते हुए कहा कि युवा सकारात्मक सोच और दृढ़ संकल्प के साथ अपने जीवन को सफल बनाने और समस्याओं को परिवर्तित करने के लिए परिश्रम करना आवश्यक है। एक समृद्ध, समर्थ, और संस्कारवान समाज के निर्माता बनने के लिए यह संदेश युवाओं को प्रेरित करने के लिए उपयोगी होगा।
विशिष्ट अतिथि के रूप में कारगिल विजय के हीरो कर्नल अनुराग मेहरा ने कहा कि युद्ध के मैदान में दुश्मनों की गोलियों से ज्यादा चुनौतीपूर्ण विषम परिस्थितियों में स्वयं को जीवित रखना बताया। वहीं कैप्टन सत्येंद्र सांगवान ने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि शहीदों के बलिदान और वीरों की वीरगाथाओं को याद रखने का अवसर है। उन्होंने कहा कि जवानों से ज्यादा बहादुरी उनके परिवार के सदस्य दिखाते हैं, जो उन्हें मातृभूमि की रक्षा के लिए राष्ट्र सर्वोपरि है की प्रेरणा से प्रेरित करते हैं।
इस अवसर पर विश्वविद्यालय में संगीत विभाग द्वारा शहीदों को श्रद्धांजलि देने के लिए एक सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किया गया। जिसमें विद्यार्थियों ने मन मोह लेने वाली प्रस्तुतियां दी।
विश्वविद्यालय कुलसचिव प्रोफेसर लवलीन मोहन ने कार्यक्रम के अंत में सबका धन्यवाद किया और विजय कारगिल दिवस की बधाई दी। उन्होंने कहा कि कारगिल विजय दिवस भारत के लिए गर्व का विषय है, क्योंकि इस दिन भारतीय सेना ने अपने शौर्य और वीरता का प्रदर्शन करके दुश्मनी शक्तियों को अपनी मातृभूमि से भगाया था। कारगिल विजय अभियान भारतीय सेना के लिए एक ऐतिहासिक अभियान था, जिसमें वीर सैनिकों ने अत्यधिक संकटमय परिस्थितियों के बीच भी विजयी होने का साहस दिखाया था। यह दिवस हम सभी भारतीयों को अपनी सेना के वीरों को याद करने और उन्हें सम्मानित करने का समय है। भारत माता की जय! वन्दे मातरम्!
मंच का संचालन सुश्री पल्लवी सहायक प्राध्यापिका अंग्रेजी विभाग के द्वारा किया गया। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के विभिन्न विभागों के विभागाध्यक्ष, शैक्षणिक और गैर शैक्षणिक कर्मचारी, विद्यार्थी, शोधार्थी, पत्रकार आदि उपस्थित रहे।