‘हिन्दी दिवस’ के उपलक्ष्य में अंत:विश्वविद्यालय स्तरीय विभिन्न प्रतियोगिताओं का आयोजन
स्नातकोत्तर हिन्दी विभाग में अंतःविश्वविद्यालय स्तरीय प्रतियोगिताओं में भिन्न-भिन्न संकायों के विद्यार्थियों द्वारा अपनी छटा बिखेरी गयी।
आज 13 सितम्बर, 2023 को हिन्दी विभाग द्वारा काव्य-पाठ, निबंध लेखन एवं भाषण प्रतियोगिता का माननीय कुलपति डॉ॰ रणपाल सिंह के मार्गदर्शन व कुलसचिव प्रो॰ लवलीन मोहन के निर्देशन में आयोजन किया गया। माननीय कुलपति डॉ॰ रणपाल सिंह के कहा की हिन्दी हृदय की भाषा है, जो हमारे हृदय से निकलती है और हृदय तक पहुँचती है। कुलपति महोदय ने हिन्दी विभाग की भूरि-भूरि प्रशंसा करते हुए कहा कि हिन्दी-विभाग शिक्षा के साथ-साथ निरन्तर विभिन्न गतिविधियों में सक्रिय रहकर छात्रों के व्यक्तित्व विकास में अहम रोल निभा रहा है। कुलसचिव प्रो॰ लवलीन मोहन के कहा कि हिन्दी मिठ्ठी-मधुर वाणी, हर दिल को यह भाती है। शब्द-शब्द में शहद घुला, हर मन को यह लुभाती है। हिन्दी हमारी भाषा ही नहीं हमारी पहचान भी है। हमें गैर-हिन्दी भाषा-भाषियों को भी हिंदी के प्रति जागरूक करना चाहिए। इस कार्यक्रम के संयोजक डॉ॰ संजय कुमार सिन्हा, अधिष्ठाता, मानविकी संकाय व सह-संयोजक डॉ॰ देवेन्द्र सिंह, हिन्दी विभागाध्यक्ष रहे। प्रो॰ संजय कुमार सिन्हा ने ‘हिन्दी दिवस’ की अग्रिम बधाई देते कहा कि सभी भाषाओं का अपना महत्त्व है लेकिन उन सब में हिन्दी भाषा का अपना विशेष स्थान है। हिन्दी भाषा वैज्ञानिक भाषा है। जो अपना क्षेत्र विस्तृत करते हुए विभिन्न देशों के विश्वविद्यालयों में आज पढ़ाई जा रही है। विभागाध्यक्ष डॉ॰ देवेन्द्र सिंह ने ‘प्रतियोगिता का महत्व’ बताते हुए कहा कि प्रतियोगिताएं विद्यार्थियों में सकारात्मक ऊर्जा लेकर आती है, उनको निखारती है तथा विद्यार्थियों को आश्वासन दिया कि समय-समय पर इस प्रकार की प्रतियोगिताओं का आयोजन हिन्दी विभाग करवाता रहेगा। निश्चित तौर पर आगामी समय हिन्दी भाषा-भाषियों के लिए उज्ज्वल होगा क्योंकि हिन्दी भाषा अब तकनीक की भाषा बनती जा रही है। तकनीक के साथ जुड़ने के उपरान्त हिन्दी भाषियों के लिए रोजगार के नए-नए द्वार खुले हैं। वैश्वीकरण के दौर में यह केवल भारत ही नहीं अपितु विश्व के प्रसिद्ध देशों के मध्य वैचारिक आदान-प्रदान की भाषा बनती जा रही है। हिन्दी भाषा हृदय के उद्गारों को व्यक्त करने का सबसे सरल एवं सशक्त माध्यम है। हिन्दी को कार्यालयी भाषा के रूप में अपनाकर इसके महत्त्व को बढ़ावा दिया जाना चाहिए। उन्होंने बताया है कि हिन्दी हमारी वैचारिक आदान-प्रदान की भाषा है। विभागाध्यक्ष ने आगे बताते हुए कहा कि विश्वविद्यालय शैक्षणिक विभिन्न विभागों और संबंधित महाविद्यालयों के अलग-अलग संकायों से आए विद्यार्थियों के द्वारा इन सभी प्रतियोगिताओं में अपने-अपने विचार और अनुभव सांझा किए।
सभी प्रतियोगिताएं जिनमें क्रमश: भाषण प्रतियोगिता, काव्य-पाठ तथा निबन्ध प्रतियोगिता में लगभग 100 प्रतिभागियों ने भाग लिया। डॉ॰ जितेन्द्र कुमार, डॉ॰ दीपक वाधवा और डॉ॰ देवेन्द्र सिंह निर्णायक मंडल की भूमिका में रहे। अंतःविश्वविद्यालय प्रतियोगिता में भाग लेने वाले प्रतिभागी विश्वविद्यालय के अलग-अलग विभागों और विश्वविद्यालयों से जुड़े अलग-अलग महाविद्यालयों से आए हुए।
डॉ॰ जितेन्द्र कुमार, सहायक प्राध्यापक, शारीरिक शिक्षा विभाग ने बताया कि काव्य-पाठ प्रतियोगिता में प्रथम स्थान मोनिका, राजकीय महाविद्यालय जीन्द, द्वितीय स्थान सौरभ, जनसंचार विभाग, चौधरी रणबीर सिंह विश्वविद्यालय जीन्द एवं तृतीय स्थान मुकेश कुमारी, हिन्दी विभाग, चौधरी रणबीर सिंह विश्वविद्यालय, जीन्द ने प्राप्त किया
डॉ॰ दीपक वाधवा, रसायन शास्त्र विभागाध्यक्ष ने बताया कि भाषण प्रतियोगिता में प्रथम स्थान सीमा, हिन्दी विभाग, चौधरी रणबीर सिंह विश्वविद्यालय जीन्द, द्वितीय स्थान नेहा, अंग्रेजी विभाग, चौधरी रणबीर सिंह विश्वविद्यालय जीन्द एवं तृतीय स्थान सचिन, राजकीय महाविद्यालय जीन्द ने प्राप्त किया।
डॉ॰ देवेन्द्र सिंह ने बताया कि निबंध-लेखन प्रतियोगिता में प्रथम स्थान पूजा रानी, हिन्दी विभाग, चौधरी रणबीर सिंह विश्वविद्यालय जीन्द, द्वितीय राजू, प्राणीशास्त्र विभाग, चौधरी रणबीर सिंह विश्वविद्यालय जीन्द एवं तृतीय स्थान प्रीति, बीबीए, व आकृति, हिन्दी विभाग, चौधरी रणबीर सिंह विश्वविद्यालय जीन्द ने प्राप्त किया। इसके अतिरिक्त विभागाध्यक्ष ने पूनम को निबंध-लेखन में अपनी ओर से प्रशस्ति-पत्र देने की बात कही जिन्होंने शारीरिक चुनौतियों का सामना करते हुए उत्कृष्ट लेखन में अपनी अहम भूमिका निभाई।