चौधरी रणबीर सिंह विश्वविद्यालय जींद में कंप्यूटर साइंस एवं एप्लीकेशन विभाग के इंडक्शन प्रोग्राम के बारहवें दिन कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के रिटायर्ड प्रोफेसर डी डी अरोड़ा ने विद्यार्थियों को जीवन जीने की कला के बारे में बताया।

September 2, 2025

चौधरी रणबीर सिंह विश्वविद्यालय जींद में कंप्यूटर साइंस एवं एप्लीकेशन विभाग के इंडक्शन प्रोग्राम के बारहवें दिन कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के रिटायर्ड प्रोफेसर डी डी अरोड़ा ने विद्यार्थियों को जीवन जीने की कला के बारे में बताया। उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि हमें जीवन में जो भी काम करना चाहिए स्वेच्छापूर्वक करना चाहिए, दवाब में किया गया काम कभी भी सफलता की ओर नहीं ले जाता। उन्होंने कहा व्यक्ति के मन में उठ रहे विचार उसके जीवन की दिशा को निर्धारित करते हैं जहां एक अच्छा विचार हमें उन्नति के उच्चतम शिखर तक पहुंचा सकता है वही एक गलत विचार हमें पतन की ओर ले जा सकता है।
उन्होंने विद्यार्थी जीवन की सफलता के लिए एक मूल मंत्र देते हुए कहा कि विद्यार्थी को या तो विभाग में होना चाहिए या लाइब्रेरी में या अस्पताल में अर्थात विद्यार्थी को प्रतिदिन अपने विभाग में अपनी कक्षाओं में रहना चाहिए और यदि कक्षा ना हो तो उन्हें लाइब्रेरी में अपना समय व्यतीत करना चाहिए। विद्यार्थी को तभी छुट्टी करनी चाहिए यदि वह अस्पताल में हो अन्यथा उसका कर्मक्षेत्र विश्वविद्यालय का विभाग है, लाइब्रेरी है; उसे सदा वही रहना चाहिए।
इसके बाद उन्होंने कहा कि हमें अपना मानसिक विकास करना चाहिए, जिसके लिए ज्ञान अति आवश्यक है। मानसिक रूप से विकसित व्यक्तियों को सभी पसंद करते हैं एवं आपके ज्ञान से ही आपका व्यवसाय बढ़ सकता है। अतः ज्यादा से ज्यादा ज्ञान प्राप्त करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि हमें अपनी इच्छा शक्ति को मजबूत करना चाहिए। उन्होंने प्यास कौवे की कथा का जिक्र करते हुए कहा कि जहां-जहां वहां राह सदा से सफलता का प्रतीक है। उन्होंने विद्यार्थियों को अपने माता-पिता एवं अध्यापकों का आदर करने का महत्व बताया। उन्होंने बताया कि माता-पिता एवं अध्यापकों का आदर किए बिना किसी भी प्रकार की भक्ति का कोई फल नहीं मिलता। भगवान भी उन्हीं से प्रसन्न होते हैं जो अपने माता-पिता एवं गुरुओं का आदर करते हैं।
उन्होंने कहा कि कभी भी अपने माता-पिता अध्यापक चिकित्सा अथवा वकील से कोई बात नहीं छुपानी चाहिए तभी वह आपकी समस्या का हल कर पाएंगे।
अंत में उन्होंने विद्यार्थियों को नेक नियति के साथ निरंतर प्रयास करने के लिए कहा। उन्होंने कहा कि नेक नियति के साथ किए गए प्रयास ही सफलता का एकमात्र मूल मंत्र है।
विभागाध्यक्ष डॉ अनुपम भाटिया ने विद्यार्थियों को डॉ डीडी अरोड़ा द्वारा बताए गए मार्ग पर चलने को कहा। उन्होंने बताया कि डॉ डीडी अरोड़ा कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय रीजनल सेंटर जींद के प्रथम निदेशक थे एवं उन्हीं के मार्गदर्शन से उन्होंने अपने जीवन को सफल बनाया है। अतः विद्यार्थियों को भी चाहिए कि उनके बताए हुए मार्ग पर चलकर अपने जीवन को सफल बनाएं।

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