चौधरी रणबीर सिंह विश्वविद्यालय में “प्रयोगशाला सुरक्षा एवं आपातकालीन तैयारी” विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला आयोजित |

September 15, 2025

जींद, 12 सितम्बर 2025 – चौधरी रणबीर सिंह विश्वविद्यालय, जींद (हरियाणा) के रसायन शास्त्र विभाग द्वारा दिनांक 12 सितम्बर 2025 को एक दिवसीय कार्यशाला “प्रयोगशाला सुरक्षा एवं आपातकालीन तैयारी” का सफलतापूर्वक आयोजन किया गया।

कार्यक्रम का शुभारंभ विश्वविद्यालय के कुलगुरु प्रो. राम पाल सैनी की गरिमामयी उपस्थिति में हुआ। प्रो. रामपाल सैनी ने कहा कि आज की दुनिया में, रसायन विज्ञान की भूमिका और भी महत्वपूर्ण हो गई है। रसायन विज्ञान, जिसे 'केंद्रीय विज्ञान' भी कहा जाता है, जीवन के हर पहलू में समाया हुआ है - दवाओं से लेकर नए पदार्थों के निर्माण तक और पर्यावरण की सुरक्षा से लेकर भोजन के अध्ययन तक। कुलगुरु ने कहा कि केमिस्ट्री विज्ञान का केंद्र है। उन्होंने सभागार में उपस्थित छात्रों से विभाग में उपलब्ध साधनों का उपयोग कर नये नये शोध पर विशेष ध्यान देने की बात कही। ताकि हम आत्मनिर्भर होकर विश्व के समक्ष सम्मान से खड़े हों।

प्रथम सत्र की मुख्य अतिथि प्रो. दीप्ति धर्माणी (कुलगुरु, चौ. बंसीलाल विश्वविद्यालय, भिवानी) रहीं। उन्होंने इस अवसर पर सिस्टर यूनिवर्सिटी के साथ सहयोगात्मक अनुसंधान कार्य एवं शैक्षणिक गतिविधियों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि ऐसे कार्यक्रम संस्थानों के बीच ज्ञान-विनिमय और शैक्षणिक सहयोग को और सशक्त बनाते हैं। वहीं, द्वितीय सत्र के मुख्य अतिथि प्रो. पवन कुमार (अध्यक्ष, हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड, भिवानी) रहे।

कार्यशाला के अंतर्गत कुल तीन तकनीकी सत्र आयोजित किए गए। सभी सत्रों में मुख्य वक्ता डॉ. जयन्त सिंधु (सहायक प्राध्यापक, चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, हिसार) रहे। उन्होंने प्रयोगशाला में कार्य करते समय अपनाई जाने वाली मूलभूत सुरक्षा सावधानियों, रसायनों के भंडारण एवं निपटान की विधियों, गैस सिलेंडरों और ज्वलनशील पदार्थों की सुरक्षित हैंडलिंग, तथा आपातकालीन स्थिति में किए जाने वाले त्वरित प्राथमिक उपायों पर विस्तृत चर्चा की। डॉ. सिंधु ने यह भी स्पष्ट किया कि आधुनिक प्रयोगशालाओं में सुरक्षा उपकरणों (जैसे फायर एक्सटिंग्विशर, फ्यूम हुड, सेफ्टी शॉवर, आई वॉश स्टेशन इत्यादि) की उपलब्धता और उनका सही उपयोग किस प्रकार शोधार्थियों और विद्यार्थियों के जीवन को सुरक्षित बना सकता है। उन्होंने प्रतिभागियों को यह प्रेरणा भी दी कि प्रयोगशाला सुरक्षा केवल नियम नहीं बल्कि एक निरंतर जिम्मेदारी और कार्य संस्कृति है, जिसे प्रत्येक विद्यार्थी और शोधकर्ता को अपनाना चाहिए।

प्रत्येक तकनीकी सत्र में क्विज़ प्रतियोगिता करवाई गई, जिनमें विद्यार्थियों ने सक्रिय रूप से भाग लिया। प्रतियोगिता में कोमल ने प्रथम स्थान, पावन ने द्वितीय स्थान तथा मोहिनी ने तृतीय स्थान प्राप्त किया। सभी विजेताओं को पुरस्कार देकर सम्मानित किया गया।

समापन सत्र में मुख्य अतिथि प्रो. पवन कुमार (अध्यक्ष, हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड, भिवानी) ने विषय की आवश्यकता पर प्रकाश डालते हुए प्रतिभागियों को प्रेरित किया। उन्होंने गुणात्मक शोध (Qualitative Research), मात्रात्मक शोध (Quantitative Research) तथा मिश्रित शोध (Mixed Research) के महत्व को भी समझाया और बताया कि प्रयोगशाला सुरक्षा की समझ अनुसंधान कार्य की गुणवत्ता को और समृद्ध बना सकती है। इस कार्यशाला में विश्वविद्यालय की कुलसचिव प्रो. लवलीन मोहन, कार्यशाला के संयोजक डॉ. दीपक वधवा तथा अध्यक्ष प्रो. विशाल वर्मा की गरिमामयी उपस्थिति रही ।

कार्यक्रम का संचालन डॉ. सिमरन ने किया तथा समापन अवसर पर धन्यवाद ज्ञापन डॉ. रामभगत एवं डॉ. खुशबू द्वारा प्रस्तुत किया गया। इस कार्यशाला में विश्वविद्यालय के प्राध्यापकों, शोधार्थियों एवं विद्यार्थियों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया और प्रयोगशाला सुरक्षा से संबंधित आवश्यक ज्ञान एवं कौशल प्राप्त किया।

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