विश्वविद्यालय का प्रयास छात्रों को मानसिक रूप से सशक्त, संवेदनशील और आत्मविश्वासी बनाना-प्रो. राम पाल सैनी

October 30, 2025

सीआरएसयू में मानसिक स्वास्थ्य जागरूकता कार्यक्रम के दूसरे दिन रचनात्मकता, सकारात्मकता और मानसिक संतुलन का हुआ अनोखा संगम I

चौधरी रणबीर सिंह विश्वविद्यालय, जींद के मनोविज्ञान विभाग एवं मार्गदर्शन एवं परामर्श प्रकोष्ठ के संयुक्त तत्वावधान में चल रहे तीन दिवसीय “मानसिक स्वास्थ्य जागरूकता कार्यक्रम” के दूसरे दिन का आयोजन उत्साह, रचनात्मकता और सकारात्मक ऊर्जा से भरपूर रहा। इस अवसर पर विद्यार्थियों ने मानसिक स्वास्थ्य, आत्म-जागरूकता और तनाव प्रबंधन से जुड़ी विभिन्न गतिविधियों में बढ़-चढ़कर भाग लिया।

कार्यक्रम में कुलपति प्रो. राम पाल सैनी मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। कुलसचिव प्रो. लवलीन मोहन, शिक्षक एवं गैर शिक्षक कर्मचारी, विभिन्न विभागों के छात्र-छात्राएँ भी बड़ी संख्या में शामिल हुए।

कुलपति प्रो. सैनी ने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि मानसिक स्वास्थ्य हमारे जीवन का मूल आधार है। स्वस्थ मन न केवल बेहतर निर्णय क्षमता प्रदान करता है, बल्कि हमारे व्यक्तित्व और व्यवहार को भी संतुलित बनाता है। उन्होंने यह भी कहा कि विश्वविद्यालय का प्रयास है कि छात्रों को मानसिक रूप से सशक्त, संवेदनशील और आत्मविश्वासी बनाया जाए।

उन्होंने कहा कि मानसिक स्वास्थ्य को लेकर समाज में जो झिझक और मौन है, उसे तोड़ना आज की सबसे बड़ी आवश्यकता है। ऐसे कार्यक्रम विद्यार्थियों को न केवल आत्म-जागरूक बनाते हैं बल्कि उन्हें जीवन की चुनौतियों से सकारात्मक रूप से निपटने की प्रेरणा भी देते हैं। उन्होंने मनोविज्ञान विभाग और आयोजन टीम की सराहना करते हुए कहा कि इस प्रकार के आयोजन विश्वविद्यालय को मानवीय मूल्यों और मानसिक सशक्तिकरण की दिशा में अग्रसर करते हैं।

दिनभर आयोजित गतिविधियों में क्विज प्रतियोगिता, पोस्टर मेकिंग प्रतियोगिता, रंगोली प्रतियोगिता और मनोवैज्ञानिक परीक्षण प्रमुख रहे। मनोवैज्ञानिक परीक्षण में 150 विद्यार्थियों ने भाग लिया और विभिन्न मनोवैज्ञानिक आयामों जैसे व्यक्तित्व, आत्म-अवधारणा और तनाव स्तर को समझने का अवसर प्राप्त किया। छात्रों ने बताया कि इन परीक्षणों ने उन्हें अपने मनोवैज्ञानिक स्वास्थ्य और सोचने की प्रक्रिया को बेहतर तरीके से समझने में मदद की।

कार्यक्रम की सबसे बड़ी विशेषता रही हैप्पीनेस जोन और स्ट्रेस रिलीविंग जोन। हैप्पीनेस जोन में 125 विद्यार्थियों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। यहाँ हैप्पीनेस जार, ग्रैटिट्यूड वॉल, पिक ए चिकन, डाइस अफर्मेशन जैसी गतिविधियों के माध्यम से छात्रों ने सकारात्मकता, आभार व्यक्त करने और आत्म-अभिव्यक्ति की कला को सीखा। विद्यार्थियों ने अपने विचारों और अनुभवों को साझा करते हुए बताया कि “ग्रैटिट्यूड वॉल” पर अपने आभारी क्षण लिखना एक अत्यंत आत्मिक अनुभव रहा जिसने उनके दिन को खुशनुमा बना दिया।

वहीं स्ट्रेस रिलीविंग जोन में लगभग 90 विद्यार्थियों ने भाग लिया। इस जोन में मेडिटेशन सर्कल, रेस बैलेंसिंग द बलून जैसी गतिविधियों के माध्यम से प्रतिभागियों ने तनाव को दूर करने और ध्यान केंद्रित करने की विधियाँ सीखी। छात्रों ने बताया कि इन अभ्यासों ने उन्हें मन की शांति, एकाग्रता और आत्म-संतुलन का अनुभव कराया। विश्वविद्यालय परिसर में पूरे दिन आनंद, हँसी और आपसी सहयोग का माहौल बना रहा।

क्विज प्रतियोगिता ने विद्यार्थियों के ज्ञान और मनोवैज्ञानिक समझ को परखा, वहीं पोस्टर मेकिंग और रंगोली प्रतियोगिता में विद्यार्थियों ने मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े रचनात्मक संदेशों को रंगों और चित्रों के माध्यम से प्रस्तुत किया। “सकारात्मक सोच, आत्म-प्रेम और संतुलित जीवन” जैसे विषयों पर बनी कृतियों ने दर्शकों का ध्यान आकर्षित किया।

कार्यक्रम की रूपरेखा विभागाध्यक्ष डॉ. अलका सेठ के नेतृत्व में तैयार की गई। डॉ. सेठ ने बताया कि इस कार्यक्रम का उद्देश्य विद्यार्थियों को अपने मनोवैज्ञानिक स्वास्थ्य के प्रति संवेदनशील बनाना, आत्म-निरीक्षण के अवसर प्रदान करना और यह संदेश देना है कि मानसिक स्वास्थ्य कोई विलासिता नहीं बल्कि आवश्यकता है। उन्होंने यह भी कहा कि जब विद्यार्थी अपने भीतर की भावनाओं को समझना सीख जाते हैं, तभी वे जीवन के प्रति वास्तविक रूप से सकारात्मक दृष्टिकोण विकसित कर पाते हैं।

कार्यक्रम में शिक्षकों ने भी विद्यार्थियों के साथ सहभागिता की और उन्हें मानसिक स्वास्थ्य बनाए रखने के व्यावहारिक उपाय बताए। सभी ने इस पहल की सराहना करते हुए कहा कि ऐसे आयोजन विश्वविद्यालय परिसर में संवेदनशीलता, सामूहिकता और मानसिक दृढ़ता को मजबूत बनाते हैं।

दिन का समापन सभी प्रतिभागियों के सामूहिक धन्यवाद और खुशियों के आदान-प्रदान के साथ हुआ, जिसने पूरे परिसर को एक सकारात्मक और सौहार्दपूर्ण ऊर्जा से भर दिया।

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