एस सी/ एस टी/ ओ बी सी सेल और राजनीतिक विज्ञान विभाग के द्वारा मनाई गई डॉ भीम राव अम्बेडकर व ज्योतिबा फुले जयंती

April 12, 2024

चौधरी रणबीर सिंह विश्वविद्यालय,जींद में एस सी/ एस टी/ ओ बी सी सेल और राजनीतिक विज्ञान विभाग के द्वारा मनाई गई डॉ भीम राव अम्बेडकर व ज्योतिबा फुले जयंती।

चौधरी रणबीर सिंह विश्वविद्यालय,जींद में एस सी/ एस टी/ ओ बी सी सेल और राजनीतिक विज्ञान विभाग के द्वारा डॉ भीम राव अम्बेडकर व ज्योतिबा फुले जयंती को मनाया गया। इस अवसर पर मुख्य वक्ता के तौर पर डॉ रामजीलाल,डॉ प्रवेश कुमार,डॉ दिनेश कुमार ने शिरकत की। इस कार्यक्रम में मुख्य संरक्षक के रूप में विश्वविद्यालय कुलपति डॉ रणपाल सिंह और संरक्षिका के रूप में कुलसचिव प्रो० लवलीन मोहन रहे।

विश्वविद्यालय कुलपति डॉ रणपाल सिंह ने मुख्य वक्ता का विश्वविद्यालय पहुँचने पर हार्दिक स्वागत किया और बाबा साहेब अम्बेडकर के बारे में बताते हुए कहा कि हर एक विद्यार्थी को डॉ भीम राव अम्बेडकर और अन्य सभी महापुरुषों से प्रेरित हो कर अपने जीवन में आगे बढ़ना चाहिए और प्रत्येक विद्यार्थी को उनके जैसे समाज सुधार और पीड़ित वर्ग को ऊपर उठाने के लिए कार्य करना चाहिए एवं प्रत्येक विद्यार्थी को अपने लक्ष्य प्राप्ति के लिए दृढ निश्चय बनाना चाहिए।

इस अवसर पर मुख्य वक्ता डॉ रामजीलाल ने डॉ भीम राव अम्बेडकर के जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि बाबा साहेब ने एक दलित परिवार में जन्म लिया था और उस समय वंचित समाज के लोगों को सामाजिक और आर्थिक तौर की कठिनाइयों का सामना करना पड़ता था। अम्बेडकर ने अपनी शिक्षा के उच्च स्तर तक पहुंचने के लिए बहुत कठिनाईयों का सामना किया,लेकिन उन्होंने अपनी मेहनत,उत्साह, और निरंतर प्रयासों से ये कठिनाइयाँ पार की। उन्होंने विदेश में उच्चतम शिक्षा प्राप्त की और वहां से विशेषज्ञता प्राप्त की। डॉ अम्बेडकर ने भारतीय समाज को सामाजिक और नागरिक अधिकारों की मांग करने के लिए एक सकारात्मक और सक्षम समाजशास्त्री के रूप में अपनी पहचान बनाई। उन्होंने अनेक सामाजिक सुधारों का प्रस्ताव रखा, जिसमें भारतीय संविधान की तैयारी और संविधान सभा की अध्यक्षता भी थी। इस अवसर पर वक्ता डॉ प्रवेश कुमार ने बाबा साहेब अम्बेडकर के द्वारा नारी उत्थान के लिए किये जाने वाले कार्यों के बारे में बताते हुए कहा कि उन्होंने महिलाओं के अधिकारों को समर्थन और प्रोत्साहन दिया,समाज में उनकी स्थिति को सुधारने के लिए लड़ाई लड़ी,और उन्हें शिक्षा,रोजगार, और सामाजिक आर्थिक समानता के माध्यमों से सशक्तिकरण करने के लिए काम किया। अम्बेडकर ने भारतीय संविधान में महिलाओं के अधिकारों को संरक्षित करने के लिए महत्वपूर्ण योजनाएं और उपाय शामिल किए। उनका योगदान विशेष रूप से महिला अधिकारों की सुरक्षा और संरक्षण के क्षेत्र में महत्वपूर्ण है।

उन्होंने भारतीय समाज में सामाजिक जाति विभाजन के खिलाफ लड़ाई लड़ी और महिलाओं को भारतीय समाज में जाति और लिंग के आधार पर न्याय और समानता की दिशा में अग्रणी बनाने के लिए काम किया। उन्होंने महिलाओं के लिए शिक्षा के अधिकार की मांग की और महिलाओं को उच्च शिक्षा और पेशेवर शिक्षा में प्रवेश के लिए उत्साहित किया। उन्होंने विवाह संबंधी कानूनों में सुधार किए और स्त्री संबंधित विवाह और संबंधों में समानता के लिए लड़ाई लड़ी।

इस अवसर पर वक्ता डॉ दिनेश कुमार ने महात्मा ज्योतिबा फुले के जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि ज्योतिबा फुले ने अपने जीवन के दौरान अनुसूचित वर्गों के लिए शिक्षा का प्रसार किया। उन्होंने महिलाओं और अनुसूचित जातियों के लिए शिक्षण संस्थानों की स्थापना की और उन्हें शिक्षित बनाने का कार्य किया। ज्योतिबा फुले ने अपने जीवन के दौरान अनुसूचित वर्गों के लिए उपनिवेशित समुदाय के हित में कई कार्य किए,जैसे कि रोजगार,आर्थिक सुधार, और उनके जीवन में बदलाव के लिए प्रोत्साहन।

इस अवसर पर विश्वविद्यालय कुलसचिव प्रो० लवलीन मोहन ने सन्देश दिया कि डॉ बाबा साहेब अम्बेडकर ने बहुत कठिनाइयों का सामना करते हुए अपनी शिक्षा की उच्च स्तरीय धारा को पार किया। उन्होंने बॉम्बे विश्वविद्यालय, एलएलएम, लंदन विश्वविद्यालय, और कोलंबो विश्वविद्यालय से शिक्षा प्राप्त की। उन्होंने अपनी शिक्षा के बाद विभिन्न सामाजिक,आर्थिक, और राजनीतिक मुद्दों पर काम किया और उन्होंने दलितों के अधिकारों की लड़ाई लड़ी और कहा कि बाबा साहेब ने कहा था "शिक्षा वह शेरनी का दूध है जो इसे जितना पिएगा उतना दहाड़ेगा" इसी लिए प्रत्येक विद्यार्थी को शिक्षा को जितना हो सके अपने जीवन में अर्जित करना चाहिए। इस अवसर पर मंच का संचालन डॉ सुमन पुनिया के द्वारा किया गया और इस मौके पर प्रो एस के सिन्हा, डॉ विशाल वर्मा, डॉ जितेन्द्र कुमार, डॉ सुनील फोगाट, डॉ अनुपम भाटिया, डॉ विजय, डॉ प्रवीन गहलावत, डॉ अलका सेठ, डॉ सुनील रोहिला, डॉ अंजू, डॉ भावना, डॉ रेखा, डॉ सुदेश, डॉ धर्म सिंह, डॉ प्रीति इत्यादि मौजूद रहे ।